एक तरफ देश में सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति हालिया दिनों में कुछ ठहराव देखने को मिल रहा है तो दूसरी तरफ ऐसी मिसालें भी हैं जो सदियों पुरानी हमारी परंपरा को जीवंत करती है. जी हां, ऐसी ही एक मिसाल केरल में देखने को मिली. केरल में दो मुस्लिम युवा, जो हैं तो इस्लामिक स्ट्डीज के छात्र लेकिन इन्होंने रामायण प्रतियोगिता में भाग लेकर शानदार जीत हासिल की है. अब हर तरफ इन दोनों मुस्लिम युवा की चर्चा हो रही है. मलप्पुरम के दो मुस्लिम छात्रों मोहम्मद जाबिर पीके और मोहम्मद बसीथ एम ने इस रामायण प्रतियोगिता में जीत हासिल की है. दोनों छात्रों ने रामायण पर ऑनलाइन क्विज जीता है. इस प्रतियोगिता में एक हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया था.

रामायण का अयोध्याकांड पसंदीदा श्लोक

दोनों छात्र केकेएचएम इस्लामिक एंड आर्ट्स कॉलेज वालेंचेरी में इस्लामिक स्ट्डीज की पढ़ाई करते हैं. दोनों युवा का रामायण में से पसंदीदा श्लोक अयोध्याकांड है जिसमें लक्ष्मण के क्रोध और प्रभु श्रीराम की ओर से अपने भाई को दी जा रही सांत्वना का जिक्र है. इसमें भगवान राम राज्य और शक्ति की निरर्थकता के बारे में बता रहे हैं. ये दोनों युवा थुंचथु रामानुजन एज़ुथाचन द्वारा लिखित महाकाव्य के मलयालम संस्करण ‘अध्यात्म रामायणम’ के छंदों को धाराप्रवाह और मधुर आवाज में प्रस्तुत करते हैं बल्कि इसका अर्थ भी विस्तार से बताते हैं. मोहम्मद जाबिर पीके और मोहम्मद बसीथ एम ने इस महाकाव्य का गहराई से अध्ययन किया है. यही कारण है कि दोनों ने इस प्रतियोगिता पर अपना कब्जा किया है. दोनों कॉलेज के दोस्त हैं.

हर धर्म के बारे में जानकारी

यह प्रतियोगिता डीसी बुक्स पब्लिशिंग हाउस द्वारा आयोजित की गई थी. बसीथ और जाबिर पांचवें और अंतिम ससाल के स्टूडेंट है. केकेएसएम इस्लामिक एंड आर्ट्स कॉलेज में यह 8 साल का कोर्स होता है. स्थानीय मीडिया में बसीथ और जाबिर की खूब चर्चा हो रही है और लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं. छात्रों ने बताया कि बचपन से ही वे महाकाव्य के बारे में जानते थे लेकिन वाफे कोर्स के दौरान उन्होंने इस महाकाव्य और हिन्दू धर्म के बारे में गहराई से अध्ययन किया. वाफे के सिलेबस में हर धर्म के बारे में पढ़ाया जाता है. उन्होंने बताया कि उनके पुस्तकालय में हर धर्म की किताबें प्रचुरता से उपलब्ध है.

आज सबसे ज्यादा इसे पढ़ने की जरूर

जाबिर ने बताया, देश के सभी नागरिकों को रामायण और महाभारत महाकाव्य जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि हमारी समृद्ध संस्कृति, विरासत और इतिहास का हिस्सा है. मेरा मानना है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे सीखें और इसके प्रति अपनी समझ बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि राम को अपने पिता से किए वादे को पूरा करने के लिए अपने राज्य का त्याग करना पड़ा. सत्ता के अंतहीन संघर्षों के दौर में रहते हुए हमें राम जैसे पात्रों और रामायण जैसे महाकाव्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए. इससे आगे बसीथ ने कहा, इस महाकाव्य को पढ़ने से अन्य धर्मों और इस समुदाय के लोगों को समझने में मदद करता है. उन्होंने कहा, कोई भी धर्म नफरत को बढ़ावा नहीं देता बल्कि केवल शांति और सद्भाव का प्रचार करता है. बसीथ ने कहा, प्रतियोगिता जीतने से उन्हें महाकाव्य को और गहराई से सीखने की प्रेरणा मिलती है.

Source : News18

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