रंगों का त्योहार होली हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह अपने साथ नई उमंग, नई तरंग और खुशी के नए रंग लेकर आता है। इसके एक दिन पूर्व होलिका दहन की परंपरा है। इस बार 20 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाएगा। शहर के हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित रवि झा बताते हैं कि होलिका दहन रात के करीब नौ बजे करना उत्तम रहेगा। अगले दिन यानी 21 मार्च को आपसी संबंधों में रंगों की खुशियां भरने के लिए लोग फाग गीतों की धूम के साथ एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर खुशियां मनाएंगे। पंडितों के अनुसार, इस बार फाल्गुन शुक्ल पक्ष प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित होलिका दहन करना सर्वश्रेष्ठ है। 20 मार्च को शाम करीब साढ़े पांच बजे से साढ़े छह बजे तक भद्रा रहेगी। संयोग की बात यह है कि 21 मार्च से ही चैत्र मास की शुरुआत हो रही है। इस दौरान चंद्र, कन्या तथा सूर्य मीन राशि में होंगे।

घर में सुख-शांति के लिए होती होली पूजा

रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश मिश्र व विमल कुमार लाभ बताते हैं कि घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिए महिलाएं फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होली की पूजा करती हैं। इसकी तैयारी एक महीने पूर्व से ही शुरू हो जाती है। होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में पूजन व होलिका दहन किया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में होली पूजन के महत्व को विस्तार से बताया गया है।

Input : Dainik Jagran

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.