नि’र्भया के वक्त उसके नि’जी अं’गों में स’रि’या डा’ल कर उसे इस हा’लत में पहुँचा दिया के वो बे’चारी जिं’दगी की जं’ग ल’ड़ते ल’ड़ते हा’र ही गई, उस वक्त पूरा देश रो या था गु स्से की आ ग लग चुकी थी.

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उम्मीद जगा के निर्भया से पहले हुए घटनाओं का निर्भया के बाद हुए देश मे उबाल के बाद इस बलात्कार नामक कोढ़ से निज़ात मिलेगा लेकिन नही ऐसा नही हुआ.

उसके बाद न जाने कितने लड़किओं बच्चियों के साथ भी ये हादसे हुए महिलाओं को भी नही बख्शा गया.

हर बार की तरह फिर एक बार हैदराबाद में एक वीभत्स घटना हुई,एक वेटनरी डॉक्टर का न सिर्फ बलात्कार हुआ उसको जला दिया गया और ये सब हुआ वैसे देश मे जहां बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया जा रहा है.

अब जब बलात्कार और हत्या हो गयी तो फिर क्या था हमेशा की तरह गंदी राजनीति,कैंडल मार्च,टीवी डिबेट शुरू हो गए,जबकी सबको पता ये हमेशा से होते आरहा है चंद दिन चलेगा फिर सब खामोश फिर कोई अगला शिकार बनेगा.

लेकिन हैरानी होती है 130 करोड़ की आबादी वाले देश मे अभी तक कोई ऐसा पैदा नही हुआ जो खाड़ी देशों जैसा कानून भारत मे लागू कर सके.

जब खाड़ी देशों की कानून की बात हो रही है तो बता देना चाहता हु खाड़ी देशों में बलात्कार और हत्या का ये सज़ा है के गुनाहगार का सर कलम कर दिया जाता है उसे अपाहिज़ बना दिया जाता है.

लेकिन भारत मे ये कहाँ से संभव है यहां तो आम लोग हो या राजनेता, पुलिस हो या पत्रकार छात्र हो या कोई व्यवसायी या कोई कलाकार या साहित्यकार सब एक ताक में रहते है कोई मौका लगे की मोमबत्ती जलाए.

अरे यार मोमबत्ती जलाना तख्ती लगा कर विरोध दर्ज करना ये तो पुराना कैसेट हो गया है इस से कुछ बदलने वाला नही,जरूरत है सभी लोगो को के वो सरकार को मजबूर कर दे के वो बिल पारित करे वैसे कानून का जो खाड़ी देशों में है.

लेकिन विडंबना तो देखो हमारी

हम खुद गंदी वेब सीरीज़ बनाते है,फ़िल्म बनाते है,फोटोशूट करते है यहां तक के प्राइम टाइम के शो में गंदे कंटेंट्स दिखाते है लेकिन जब कोई घटना हो तो ट्विटर पर निंदाओं की बाढ़ ला देते है.

जब कोई मेट्रो में पार्क में मॉल में अश्लील हरकत करते है तो हम उन्हें ये कहते है के किसी के निजी जिंदगी में दखल मत दो लेकिन वो ये नही सोचते.

के सार्वजनिक जगहों पर अश्लीलता फैलाने से सामने वाले व्यक्ति में कुंठा जाग सकता है इसका भी परिणाम बलात्कार या हत्या हो सकता है.

लेकिन नही इन सब बातों का क्या फायदा किसी की बेटी मरी या रेप हुआ तो बस ट्विटर है न टीवी डिबेट है न या फिर कैंडल मार्च है न.

लेकिन याद रखना समय आगया है अब सिर्फ और सिर्फ अपनी बहन बेटियों के सुरक्षा के लिए एक ही मांग होनी चाहिए के अपने देश का कानून भी खाड़ी देशों के तरह सख्त हो ताकि हमारी बेटियां खुल कर जी सके.

मेरी बातों से सहमत हो तो अपने विचार कमेंट में अवश्य लिखियेगा।

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