रामनवमी का पर्व मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। रामनवमी के ही दिन भगवान विष्णु ने सातवें अवतार के रूप में जन्म लिया था। रामनवमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनायी जाती है। जबकि इस दौरान चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक नवरात्रि भी मनायी जाती है और इस दौरान बहुत से लोग व्रत एवं उपवास भी रखते हैं।

रामनवमी का पर्व देश और दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भगवान राम का प्राकट्य पुष्य नक्षत्र में दोपहर 12 बजे हुआ था। 21 अप्रेल बुधवार को उदय काल में पुष्य नक्षत्र रहेगा। रामजी के प्राकट्यकाल में दोपहर 12 बजे अश्लेखा नक्षत्र और मातंग योग विद्यमान रहेगा। रामनवमी के दिन अनेक स्थानों पर भजन-कीर्तन का भी आयोजन होता है लेकिन इस बार कोरोना के चलते सामूहिक तौर पर आयोजन नहीं होंगे। इस वर्ष मंदिरों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए रामनवमी मनाई जाएगी।

रामनवमी पूजा मुहूर्त सुबह

11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है।

रामनवमी की पूजाविधि- रामनवमी के दिन सबसे पहले स्नान आदि करके पवित्र होकर पूजास्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठ जाएं।
– पूजा में तुलसीदल और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए और इसके बाद आप श्रीरामनवमी की पूजा करें।
– खीर, फल-फूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
– पूजा करने के बाद घर की सबसे छोटी महिला घर के सभी लोगों के माथे पर टीका करें और सभी लोगों का चरण स्र्पश कर आशीर्वाद प्राप्त करें।

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