प्रदूषण, गंदगी, कुपोषण के बीच कड़ाके की ठंड से अब बच्चों में निमोनिया का प्रकोप बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। इस बीमारी को लेकर पूरे राज्य में अलर्ट किया गया है। डल्यूएचओ ने इंडिया मेट्रोलॉजिकल विभाग की ओर से लगातार इस बारे में दी जा रही सूचना को लेकर सतर्क किया गया है।

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एईएस बीमारी के प्रकोप के दौरान विशेषज्ञों ने प्रदूषण पर नियंत्रण करने व गंदगी कुपोषण को दूर करने की सिफारिश शासन से की थी। मुख्य रूप से निमोनिया, सांसजनित कई तरह की खतरनाक बीमारी के इलाज की व्यवस्था व जागरूकता के लिए भी काम करना है। जिले में एसकेएमसीएच में इमरजेंसी व शिशु ओपीडी में भाप देने के साथ इसके इलाज की व्यवस्था की गयी है। स्थानीय डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों की मृत्यु के कारणों में 70 फीसदी निमोनिया ही है। इन दिनों इसका खतरा बढ़ गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिहार में बच्चों की मृत्यु दर प्रति एक हजार पर 35 है, लेकिन मुजफ्फरपुर में एक हजार पर अभी भी 39 बच्चों की मौत हो रही है। इसमें 40 फीसदी मौत नौ माह से पांच साल तक के बच्चों की है। कड़ाके की ठंड बढ़ने के कारण दिसम्बर माह में अब तक मुजफ्फ़रपुर के एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में दो सौ निमोनिया से पीड़ित बच्चों का इलाज किया गया है।

इस बारे में सीएस डॉ.एसपी सिंह ने बताया कि निमोनिया को लेकर सभी पीएची प्रभारियों को निर्देश दिया जा चुका है। बच्चों में यह समस्या अधिक होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

Input : Hindustan

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