माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में रामायण रिसर्च काउंसिल के देखरेख में माता सीता की 251 फीट की प्रतिमा बनाई जाएगी। इसको लेकर रामायण रिसर्च काउंसिल की ओर जमीन उपलब्ध करा ली गई है। सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने इस पुरे मुहिम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस शुभ कार्य का उद्देश्य माता जानकी की जन्मस्थली को देश और दुनिया में पहचान दिलाना है। साथ ही भूमि पूजन का कार्य पीएम मोदी या फिर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों हो सकती हैं।

सांसद सुनील कुमार पिंटू ने इस बड़े प्रोजेक्ट को लेकर आगे बताया गया कि विश्व की पहली भगवान की सबसे बड़ी प्रतिमा सीतामढ़ी के डुमरा के राघोपुर बखरी में स्थापित होगी।इसके लिए राघोपुर बखरी के महंत ने काउंसिल को कुल 18 एकड़ 40 डिसिमल भूमि दान दी है। वहीं, इसके विस्तार के लिए आसपास के किसानों ने भी काउंसिल को अपनी ज़मीन देने पर सहमति जताते हुए करीब 6 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर दिया है। काउंसिल ने अब तक कुल 24.39 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर लिया है।इस स्थल के आसपास की कुल 33.86 एकड़ भूमि का रजिस्ट्री-शुल्क माफ करने के लिए सीतामढ़ी निबंधन कार्यालय के माध्यम से प्रस्ताव बिहार सरकार को भेजा गया है।

रामायण रिसर्च काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज राघोपुर बखरी में मां जानकी की प्रतिमा स्थल को शक्ति-स्थल को के रूप में विकसित करना चाहते है। इसके लिए 51 शक्तिपीठों के आलावा इंडोनेशिया, बाली और अशोक वाटिका से मिट्टी व जल एवं एमपी के नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखी की ज्योति लाकर माता सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित किया जायेगा।

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