बिहार की बैंक शाखाओं के निष्क्रिय खातों में 2600 करोड़ रुपये राशि जमा होने की खबर आई है। बताया जा रहा है कि इन रुपयों को लेने के लिए किसी खाताधारक द्वारा दावा नहीं किया जा रहा। पिछले 10 सालों से इसका उपयोग भी नहीं हो रहा है।
हिंदुस्तान में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक ने निष्क्रिय खातों और बैंकों में जमा लावारिस जमा राशि को वर्गीकृत एवं व्यवस्थित करने के लिए संशोधित दिशा निर्देश जारी किए हैं। रिजर्व बैंक के मुताबिक देशभर के बैंको में 42,270 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हुए हैं। रिजर्व बैंक बैंकों में जमा पड़ी लावारिस राशि, सही दावेदारों तक पहुंच सके इसके लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यह 1 अप्रैल 2024 से लागू होगी।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक बैंकों को उनके यहां किसी भी जमा खाते में 10 साल या उससे अधिक समय से पड़ी राशि को रिजर्व बैंक के जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता कोष में ट्रांसफर करना जरूरी है। साथ ही बैंकों को सालाना उन खातों की समीक्षा करनी होगी जहां एक साल या ज्यादा समय से ग्राहक ने कोई ट्रांजैक्शन नहीं की है।
इसके अलावा बैंकों को खाताधारकों को इस बारे में लिखित तौर पर सूचना देनी पड़ेगी। यदि ग्राहक निष्क्रियता का कारण बताते हुए जवाब दाखिल करते हैं तो फिर बैंकों को एक और साल के लिए खाता को चालू श्रेणी में रखना होगा। इसका अर्थ हुआ कि अगले एक साल तक वो खाते को निष्क्रिय नहीं कह सकते। लेकिन यदि ग्राहक लिखित सूचना का जवाब नहीं देते हैं ऐसे में बैंक को तुरंत खाताधारक या नॉमिनी के ठिकाने की जांच करनी है। दरअसल बैंकों में धोखाधड़ी कम करने के लिए निष्क्रिय खातों को अलग करना आवश्यक है।