मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनावी उत्सव की शुरुआत हो चुकी है जिसमें कुल 28 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की है। यह अंक पिछली बार की तुलना में 25 प्रतिशत से अधिक है, जबकि वर्ष 2019 में कुल 22 दावेदार थे। इसमें 16 छोटे दलों से जुड़े प्रत्याशियों के अलावा चार निर्दलीय भी शामिल हैं।

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2014 के चुनाव में मुजफ्फरपुर में कुल 29 उम्मीदवार थे, जिसमें 11 निर्दलीय के साथ 15 छोटे दलों के प्रत्याशी शामिल थे। इसे ध्यान में रखते हुए, इस बार की विविधता का महत्वपूर्ण संकेत मिलता है।

अतीत के चुनावी परिणामों का अध्ययन करते हुए, जीत और हार के अंतर में कमी होने की संभावना है। हालांकि, इस बार की राजनीतिक स्थिति में इस फॉर्मूले पर संशय है। 2014 में भाजपा के तत्कालीन प्रत्याशी अजय निषाद ने 2.22 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि 2019 में उन्होंने 4 लाख से अधिक वोट प्राप्त किए थे।

इन चुनावों में एक बड़ा फर्क यह है कि 2014 में अजय निषाद के खिलाफ अखिलेश सिंह और विजेंद्र चौधरी के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष था, जबकि 2019 में उनके खिलाफ वीआईपी प्रत्याशी राजभूषण निषाद के साथ आमने-सामने की जंग थी।

मुजफ्फरपुर में नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है और शेष चुनाव प्रचार के लिए बस एक पखवारा बचा है। छह मई तक नाम वापसी की आखिरी तारीख है और पांचवें चरण में मतदान 20 मई को होगा।

मुजफ्फरपुर के उम्मीदवारों में संदीप कुमार जनतंत्र आवाज पार्टी से, नंद किशोर शर्मा अपना किसान पार्टी से, सबीना खातून इंडियन नेशनल लीग से, मोहम्मद अंजारुल हसन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से और अन्य निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं।

वैशाली लोकसभा क्षेत्र में भी सात प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया है। नामांकन की प्रक्रिया इस क्षेत्र में छह मई तक जारी रहेगी।

Input : Hindustan

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