उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 400 साल पुराने शिव मंदिर का पता चला है, जो 46 साल से बंद पड़ा था। यह मंदिर तब सामने आया, जब प्रशासन ने बिजली चोरी की जांच अभियान चलाया। मंदिर के पास एक पुराना कुआं भी मिला। प्रशासन की कार्रवाई के बाद बुलडोजर लगाकर मंदिर को अतिक्रमण से मुक्त करवाया गया। रविवार सुबह मंदिर में पूजा और आरती के साथ इसकी शुरुआत हुई। शिवलिंग, भगवान हनुमान और नंदी की मूर्तियों ने इस मंदिर की ऐतिहासिकता को और भी गहराई दी।

यह मंदिर 1978 के बाद कभी नहीं खुला। इस क्षेत्र में 1976 और 1978 में बड़े सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिनके बाद हिंदुओं ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया। खग्गूसराय क्षेत्र, जहां यह मंदिर स्थित है, कभी बड़ी संख्या में हिंदू परिवारों का केंद्र था। 1978 की हिंसा के बाद इस मंदिर पर ताला लगा दिया गया था।

दंगों की शुरुआत 1976 में जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुहम्मद हुसैन की हत्या के बाद हुई। इस घटना ने इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया। संसदीय रिकॉर्ड और अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार, मौलाना की हत्या एक हिंदू व्यक्ति ने की थी, जिसके बाद स्थिति बिगड़ गई। हिंसा के कारण मंदिर पर ताला लगाकर इसे बंद कर दिया गया।

आजादी के बाद से संभल में कुल 14 बार सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं। 1956, 1959, और 1966 के छोटे विवादों के बाद 1976 और 1978 में हिंसा ने विकराल रूप ले लिया। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय भी यहां तनावपूर्ण माहौल रहा।

स्थानीय निवासी सुशील गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर पहले हरिहर मंदिर के नाम से जाना जाता था। गुप्ता के अनुसार, मंदिर की पहचान पर संदेह करना गलत होगा क्योंकि यहां धातु की घंटी और अन्य हिंदू प्रतीक स्पष्ट रूप से देखे गए थे।

400 साल पुराने इस मंदिर को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के बाद प्रशासन ने इसे जनता के लिए खोला। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके साथ जुड़े संघर्ष और ऐतिहासिक घटनाएं भी इसे विशेष बनाती हैं।

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