लॉक डाउन से इंसान भले ही त्रस्त हो लेकिन जीव-जंतु, पेड़-पौधे और प्रकृति चैन की सांस ले रहे हैं। इस महीने यानी अप्रैल की शुरुआत में वैज्ञानिकों को उत्तरी ध्रुव यानी नॉर्थ पोल के ऊपर स्थित ओजोन लेयर में 10 लाख वर्ग किमी का छेद दिखा था और यह इतिहास का सबसे बड़ा छेद था।

लॉक डाउन की वजह से कम हुए प्रदूषण की वजह से यह छेद भर गया है और यह एक बड़ी खुशखबरी है। ओजोन परत धरती पर सूरज की घातक किरणों अल्ट्रावॉयलेट रेज को आने से रोकता है। धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के ऊपर ओजोन लेयर है।

इससे पहले भी लॉक डाउन ने दक्षिणी ध्रुव के ओजोन लेयर के छेद को कम किया था। अप्रैल महीने की शुरुआत में उत्तरी ध्रुव के ओजोन लेयर पर एक बड़ा छेद देखा गया था। वैज्ञानिकों का दावा था कि यह अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा छेद है क्योंकि यह 10 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था।

ओजोन लेयर के छेद को कम करने के पीछे मुख्यतः तीन सबसे बड़े कारण ने साथ दिया। बादल, क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन्स। इन तीनों की मात्रा स्ट्रेटोस्फेयर में बढ़ गई थी।

इनकी वजह से स्ट्रेटोस्फेयर में जब सूरज की अल्ट्रवायलेट किरणें टकरा रहीं थी, तो उनसे क्लोरीन और ब्रोमीन के एटम निकल रहे थे। यही एटम ओजोन लेयर को पतला कर रहे थे, जिससे उसका छेद बड़ा होता जा रहा था। इसमें प्रदूषण और इजाफा करता लेकिन लॉक डाउन के कारण वह नहीं हुआ।

उम्मीद है कि ओजोन लेयर मैं बनी हुई छेद कम होती जाएगी किसी प्रदूषण का स्तर अभी घट रहा है हालाकी वसंत ऋतु के समय ओजोन लेयर पूरी तरह गायब हो जाता है मगर उतरी ध्रुव में यह बना रहता है।

अब आगे यही उम्मीद है कि ओजोन लेयर सुरक्षित रहेगा ताकि हम सभी सुरक्षित रह सकें।

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