किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे अहम पैमाना जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े होते हैं. भारत की जीडीपी ग्रोथ के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जीडीपी के आंकड़ों के मुताबिक देश की आर्थिक स्थिति लुढ़क कर 6 साल पहले जैसी हो गई है. दरअसल, चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा 4.5 फीसदी पहुंच गया है. यह करीब 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है. इससे पहले मार्च 2013 तिमाही में देश की जीडीपी दर इस स्तर पर थी.
जीडीपी ग्रोथ से डाउन तक का सफर
लगातार 6वीं तिमाही में आई गिरावट
अहम बात ये है कि देश की जीडीपी लगातार 6 तिमाही से गिर रही है. बीते वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 8 फीसदी पर थी तो दूसरी तिमाही में यह लुढ़क कर 7 फीसदी पर आ गई. इसी तरह बीते वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ की दर 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर थी. इसके अलावा वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ की दर गिरकर 5 फीसदी पर आ गई.
सरकार के लिए बड़ी चुनौती
जीडीपी के ताजा आंकड़े केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. दरअसल, सरकार अपने 5 साल के कार्यकाल में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य पर काम कर रही है. एक्सपर्ट का मानना है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जीडीपी ग्रोथ की दर 8 फीसदी से अधिक होना जरूरी है.
हालांकि देश को आर्थिक सुस्ती से निकालने के लिए बीते कुछ महीनों में सरकार ने कई फैसले लिए हैं. मसलन, सितंबर में कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदीसे घटाकर 22 फीसदी करने की घोषणा की थी. वहीं नए निवेशकों के लिए भी कई सहूलियत दी गई है. इसी तरह हाउसिंग सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर, ऑटो सेक्टर की आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए भी सरकार की ओर से कई बड़े ऐलान किए गए. लेकिन इन फैसलों का आर्थिक विकास दर पर कुछ खास असर नहीं दिख रहा.
Input : Ajj Tak