सौरव गांगुली को प्यार से दादा कहा जाता है। दादा एक तरह से उनके नाम का पर्याय हो गया है। बंगाली में दादा का मतलब होता है बड़ा भाई। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में, और खास तौर पर बंगाल में सौरव गांगुली को कितना ज्यादा पसंद किया जाता है। अब बंगाल में चुनाव से पहले माना जा रहा है कि कोलकाता में 7 मार्च को PM मोदी की रैली के दौरान गांगुली भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

Will Sourav Ganguly attend PM Narendra Modi rally in Kolkata, BJP says- For  him to decide | West Bengal Elections: 7 मार्च को PM Modi की कोलकाता रैली  में शामिल होंगे सौरव

गांगुली की पॉपुलेरिटी से ‌‌BJP को वोट पाना आसान होगा

BJP सौरव गांगुली के साथ ही बंगाल के बेहद लोकप्रिय एक्टर प्रसेनजीत और मिथुन चक्रवर्ती को भी पार्टी में लाने की कोशिश में सफल होती दिख रही है। ये भी PM की रैली के दौरान ही BJP में शामिल हो सकते हैं। यदि ये तीन नाम BJP में जुड़ जाते हैं तो बंगाल का मौजूदा राजनीतिक सीन पूरी तरह बदल जाएगा, क्योंकि तीनों की ही बंगाल में बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है।

Sourav Ganguly Joining BJP Can't Be Ruled Out, It's An Option To Survive In  Cricket Admin'

BJP के लिए सौरव गांगुली इसलिए भी जरूरी हो जाते हैं कि, पार्टी के बाद बंगाल में अभी ऐसा कोई बेहद लोकप्रिय चेहरा नहीं है, जिसके दम पर वोट बटोरे जा सकें। CM बनने की रेस में सबसे आगे दिलीप घोष हैं, लेकिन उनकी पॉपुलेरिटी इन सेलेब्स जैसी नहीं है।

गांगुली साल 1996 से ही बंगाल में आइकॉन के तौर पर देखे जाने लगे थे, जब उन्होंने अपने पहले टेस्ट में शतक लगाया था। साल 2000 में भारतीय टीम के कप्तान बनने के बाद उनकी पॉपुलेरिटी कई गुना बढ़ गई। 2003 में भारतीय टीम को विश्वकप फाइनल तक ले जाने के बाद सौरव बंगाल के ही नहीं देश के भी लाडले बन गए। गांगुली, खासतौर पर युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुए। IPL में KKR की तरफ से खेलते हुए भी उनकी यही पॉपुलेरिटी कायम रही। फिर अक्टूबर 2019 में वे BCCI के अध्यक्ष बन गए, तो इसे बंगाली गौरव के तौर देखा गया।

BJP wooing Sourav Ganguly - The Sunday Guardian Live

गांगुली की BJP से नदजीकियां कई बार सामने आईं

BJP से उनकी नजदीकी होने के कई संकते मिलते रहे हैं। जैसे, वे नेताजी सुभाष बोस की 125वीं जयंती पर हुए कार्यक्रम में दिखे थे, जिसकी अध्यक्षता खुद PM मोदी ने की थी। इसके बाद बंगाल में BJP के थिंक टैंक माने जाने वाले अर्निबान गांगुली और भाजपा की कोर कमेटी के साथ भी गांगुली की फोटो सामने आई थी। पिछले साल दिसंबर में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी सौरव से मुलाकात की थी। हाल ही में जब वे हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे तो गृहमंत्री अमित शाह और पीएम मोदी ने फोन कर उनका हाल पूछा और बंगाल के भाजपा नेता उन्हें देखने हॉस्पिटल पहुंचे थे।

एक्सपर्ट ने कहा- गांगुली BJP में गए तो पार्टी की जीत पक्की

ममता बनर्जी BJP को लगातार बाहरी बता रही हैं। कह रही हैं कि, गुजरात या दिल्ली से कोई बंगाल को नहीं चलाएगा। ऐसे में गांगुली के आने पर BJP को एक बंगाली आइकॉन मिल जाएगा। बाहरी का मुद्दा खत्म हो जाएगा। गांगुली की पॉपुलेरिटी का पार्टी को पूरे प्रदेश में फायदा होगा। रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और चुनाव विश्लेषक डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, ‘गांगुली BJP में शामिल होते हैं तो पार्टी की जीत पक्की है। फिर BJP दो सौ से ज्यादा सीटें भी ला सकती है, क्योंकि पूरे बंगाली समाज में सौरव के लिए लोगों में बहुत प्यार और सम्मान है।

BCCI President Sourav Ganguly to join BJP PM Modi's presence? Bengal BJP  chief's reaction deepens mystery

डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती के मुताबिक गांगुली अगर BJP में शामिल नहीं होते हैं तो पार्टी के लिए चुनाव मुश्किल हो जाएंगे, क्योंकि उसके पास अभी बंगाल में ऐसा कोई लीडर नहीं है जो पॉपुलर हो, जिसकी राजनीतिक और प्रशासनिक समझ भी अच्छी हो। डॉ. चक्रवर्ती ने कहा कि सौरव का गृहमंत्री अमित शाह और PM मोदी से तालमेल भी अच्छा रहा है, लेकिन अभी तक उन्होंने राजनीति में आने से न तो इंकार किया है और न ही किसी पार्टी के ऑफर को माना है।

ममता के लिए मुश्किल हो जाएगी राह

तृणमूल कांग्रेस का कुनबा लगातार कम हो रहा है। शुभेंदु अधिकारी सहित तमाम नेता बीते दिनों में पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। TMC के लिए BJP कितनी बड़ी चुनौती बन गई है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि तृणमूल ने अब लीड दिलाने वाले को-ऑर्डिनेटर्स को एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। पार्टी ने कोलकाता के अपने सभी को-ऑर्डिनेटर्स को कहा है कि कैंडिडेट आपकी पसंद का हो या न हो, उसके साथ कोई मनमुटाव न रखें और कोशिश करें कि उसे आपके इलाके में लीड मिले।

इधर ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं और उनके सामने संभवत शुभेंदु अधिकारी होंगे, जिनकी नंदीग्राम पर पकड़ बहुत मजबूत है। ऐसे में अगर सौरव का साथ BJP को मिल जाता है तो ममता के लिए चुनाव जीतना बेहद कठिन हो जाएगा।

अभी तृणमूल बंगाल की बेटी अभियान चला रही है, लेकिन गांगुली के BJP में आने के बाद तृणमूल के इस अभियान का कोई असर नहीं होगा। सौरव लोकप्रिय होने के साथ ही बेदाग छवि वाले भी हैं। एक सख्त प्रशासक भी माने जाते हैं। ऐसे में ममता बनर्जी की क्लीन छवि का तोड़ BJP को मिल जाएगा।

BJP मीडिया से अब भी बोलने से बच रही

भले ही सौरव का BJP में शामिल होना तय माना जा रहा है, लेकिन पार्टी अब भी मीडिया के सामने इस मामले में मुंह खोलने से बचती दिखाई दे रही है। BJP के चीफ स्पोक्सपर्सन शमिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘गांगुली बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं और बंगाल के आइकॉन हैं। उनकी अभी तबीयत खराब है इसलिए वे आराम कर रहे हैं। हमारी कामना है कि वे जल्दी स्वस्थ हों और दोबारा मैदान पर प्रैक्टिस करने के लिए उतरें, क्योंकि एक खिलाड़ी के लिए प्रैक्टिस करना बहुत जरूरी होता है।’

भट्टाचार्य का कहना है, ‘मुझे अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि, गांगुली को PM की रैली के लिए इनवाइट किया गया है या नहीं, लेकिन स्वास्थ्य ठीक होने पर वे आने पर विचार करते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा।’

BJP कह चुकी है कि CM बंगाली ही होगा

BJP लगातार कह रही है कि बंगाल में पार्टी को बहुमत मिलने पर CM कोई बंगाली ही होगा। अब खबरें हैं कि BJP के जीतने पर दिलीप घोष ही CM होंगे और UP की तर्ज पर दो डिप्टी CM बनाए जाएंगे। जिनमें एक सौरव गांगुली हो सकते हैं। चुनाव विश्लेषक डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं कि BJP के ज्यादातर नेता बंगाल आकर पोलराइजेशन की कोशिश कर रहे हैं। इसे बंगाल की जनता पसंद नहीं कर रही। इसी वजह से नितिन गडकरी, जेपी नड्डा, विप्लव देव की सभाओं में भीड़ लगातार कम हो रही है।

डॉ. चक्रवर्ती के मुताबिक BJP अगर यहां पर गुड गवर्नेंस की बात करेगी और लोगों में कॉन्फिडेंस जगाएगी तो जरूर उसे फायदा मिल सकता है, क्योंकि राज्य में बेरोजगारी काफी ज्यादा है। राजनीतिक हत्याएं होना आम हो गया है। बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार पुलकेश घोष के मुताबिक गांगुली BJP में शामिल हो भी जाते हैं, तब भी पार्टी को जीत की गारंटी नहीं मिल सकती। वे जिस सीट पर लड़ेंगे, सिर्फ उसी सीट और उसके आसपास की सीटों पर ही असर दिखेगा। अब गांगुली क्या फैसला लेते हैं, ये अभी एक बड़ा सवाल है।

Source : Dainik Bhaskar

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