कोरोना महामारी के इस समय में हमारे देश के सभी तीज-त्योहार मानों फीके से पड़ गए है. ऐसा लगता है कि हर त्योहार से मानों रौनक ही चली गई हो. लेकिन फिर इस महामारी के समय में एक कुछ चीजें ऐसी हो रही है जिसके बारे में पढ़कर और सुनकर अच्छा लगता है. हाल के दिनों में एक ऐसी दिल को खुश कर देने वाली खबर महाराष्ट्र के विट्ठल रुक्मिणी मंदिर से सामने आई है.

हिंदु घर्म में अक्षय तृतीया एक शुभ त्योहार है जो पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है. हालांकि, COVID-19 बादल अभी भी हमारे ऊपर मंडरा रहा है, ऐसे में त्योहारों का असली मजा मानों खत्म से होता नजर आ रहा है. लेकिन इस विशेष दिन को चिह्नित करने के लिए महाराष्ट्र राज्य के विट्ठल-रुक्मिणी जी के मंदिर को आम से सजाया गया.

‘हापुस’ आम से हुआ मंदिर श्रंगार

मीडिया में आई खबर के मुताबिक पुणे के रहने वाले विनायक काची (बुंदेला) नाम के एक व्यापारी ने मंदिर के भीतर इतने सारे आम चढ़ाए देखते ही देखते तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. दरअसल मंदिर को सजाने के लिए व्यापारी ने सात हजार ‘हापुस’ आम चढ़ाए. मंदिर परिसर के साथ ही भगवान विट्ठल और रुक्मिणी की मूर्तियों को भी उसी से सजाया गया. आम इस विशेष दिन को चिह्नित करने के अलावा, यह चल रहे गर्मी के मौसम का भी प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि वर्ष के इस समय के दौरान आम बेहद लोकप्रिय हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह आम महाराष्ट्र और इसके आसपास के राज्यों में व्यापक रूप से पाया जाता है और इसकी मिठास के लिए जाना जाता है. हर साल इस परंपरा का पालन किया जाता है. 2020 में, यहां लगभग 3100 आमों की पेशकश की गई थी जो विशेष रूप से रत्नागिरी से मंगवाए गए थे.

हालांकि, इस बार महामारी ने उत्सव को शांत कर दिया लेकिन इस बार मंदिर प्रशासन ने यहां सजाए गए सभी फलों को कोविड-19 से पीड़ित बीमार रोगियों को दान करने का फैसला किया है. आम के अलावा, मंदिर को सजाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य फलों में तरबूज, सेब और कई अन्य शामिल थे.

Source : R Bharat

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