दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री नहीं रही। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात दिल का दौरा पडने से निधन हो गया। घबराहट होने की शिकायत के बाद रात 9.26 बजे सुषमा को एम्स लाया गया।

जहां डॉक्टरों की टीम के काफी प्रयासों के बाद भी जब उनकी जान नहीं बचाई जा सकी तो टीम में मौजूद दो जूनियर डॉक्टर के आंखों में आंसू आ गए।

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वे खुद को कंट्रोल कर पाते मगर भावनाओं के आगे वे हार गए और बाहर निकलकर फूट फूटकर रोने लगे। दरअसल, सत्तर मिनट तक सीपीआर और हार्ट को पंप करने के अलावा शॉक भी देने के बाद सुषमा स्वराज की धड़कनें वापस नहीं लौटी तो उन्हें तत्काल जीवन रक्षक उपकरण (वेंटीलेटर) का सपोर्ट दिया। इसके बावजूद सुषमा के शरीर ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया था। डॉक्टरों के आगे भी उस वक्त कुछ और करने को बचा नहीं।

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दस बजकर 50 मिनट पर जब अंतिम सांस ली। इन डॉक्टरों ने अपनी पहचान जाहिर ना करने की अपील करते हुए उन्होंने अमर उजाला को सुषमा के उन अंतिम सत्तर मिनट का पूरा ब्यौरा दिया। डॉक्टरों की मानें तो सुषमा को रात नौ बजकर पैतीस मिनट पर एम्स लाया गया था लेकिन उससे पहले ही अलर्ट होने से बारह डॉक्टरों की टीम मौजूद थी।

आनन फानन में उन्हें एंबुलेंस से बाहर लाकर सीधे इमरजेंसी ले जाया गया। यहां दो डॉक्टर सीपीआर के साथ मौजूद थे।

डॉक्टर चंद सेंकड में ही समझ गए कि सुषमा को कार्डिएक अरेस्ट हुआ है। करीब दस से पंद्रह मिनट तक सीपीआर से काम नहीं चला तो तुंरत उन्हें शॉक दिया। तीन बार शॉक के बाद भी सुषमा के शरीर ने कुछ रेस्पांड नहीं किया तो डॉक्टरों ने तीसरे विकल्प यानि हार्ट को पंप करने का फैसला लिया।

ह्दयरोग विभाग के डॉ वीके बहल और उनकी पूरी टीम पंप देने में जुट गई। जबकि दूसरी ओर डॉ प्रवीण अग्रवाल की टीम ने वेंटीलेटर को तैयार किया। पंप से भी काम नहीं चला तो सुषमा स्वराज को वेंटीलेटर दिया। मगर इस तब तक काफी देर हो चुकी थी और सुषमा की धड़कनों ने पूरी तरह से साथ छोड़ दिया था।

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