अपने बेटों की मार से डर 80 वर्षीय सीता बा अब घर नहीं वृद्धाश्रम में रहेंगी। वृद्धा जब डीवायएसपी मंजिता से मिली, तो अपना दु:खड़ा बताते हुए रो पड़ी। तब मंजिता ने उसे अपनी गाड़ी से वृद्धाश्रम पहुंचाया, वहां उसके एक साल के खर्च का भुगतान कर दिया। अब वृद्धा वहीं से अपने बेटों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी।

80 वर्षीय सीता बेन रणछोड़ भाई बारोट और डीवायएसपी मंजिता वणजारा

वृद्धाश्रम जाने की जिद की थी

विजापुर के देवड़ा गांव की 80 वर्षीय सीता बा बारोट पति की मौत के बाद अकेले ही रह रही थी। गांव में उसकी 6 बीघा जमीन है, जिस पर उसके बेटों की नजर है। बेटे अपनी मां की खूब पिटाई करते थे। उनकी मार की डर से वृद्धा ने पुलिस थाने में गुहार लगाई थी। थाने में उसे जमानतदार लाने के लिए कहा गया। वह डीवायएसपी मंजिता वणजारा से मिलना चाहती थी। पर नहीं मिल पाई। बेटों के डर से वह घर नहीं जाना चाहती थी। वह चाहती थी कि उसे वृद्धाश्रम पहुंचा दिया जाए, पर वहां जो राशि जमा करनी होती है, वह उसके पास नहीं थी। तब मंजिता ने वृद्धा का पूरा बोझ अपने सिर ले लिया। उसने वृद्धा काे अपनी गाड़ी से आश्रम छोड़ दिया और वहां एक साल के खर्च का भुगतान भी कर दिया।

बेटी के रूप में जवाबदारी उठाई

इस संबंध में डीवायएसपी मंजिता ने बताया कि वृद्धा बेटों की मार से काफी डर गई थी। मुझे लगा कि वह बहुत ही परेशान है। मैंने उनके वृद्धाश्रम में रहने की इच्छा पूर्ण की। वहां किसी भी प्रकार की तकलीफ हो, तो एक पुलिस अधिकारी के रूप में नहीं, बल्कि एक बेटी के रूप में दूर करने की कोशिश करने का आश्वासन दिया। वृद्धाश्रम में उनकी एक साल की फीस भी एडवांस में जमा कर दी है।

2004 में हो गई पति की मौत

विजापुर तहसील के देवड़ा गांव की 80 वर्षीय सीता बेन रणछोड़ भाई बारोट के पति की मौत 2004 में हो गई। उनकी मौत के 2 साल बाद उनके दो बेटों ने उसे रखने से इंकार कर दिया। इससे वह अकेले ही रहने लगी। सीता बेन की 6 बीघा जमीन पर उनके दोनों बेटों की नजर है। इसलिए दोनों ने जमीन के कागजात पर अंगूठा लगाने के लिए दबाव डालने लगे। इसकी शिकायत लेकर वृद्धा मंगलवार को महेसाणा महिला सहायता केंद्र में पहुंचकर बेटों के अत्याचार से मुक्त करने की गुहार लगाई।

आधार कार्ड भी रख लिया

वृद्धा के अनुसार उसके दोनों बेटों ने उनका आधार कार्ड से लेकर सभी कागजात अपने पास रख लिए हैं। अब उसे आर्थिक रूप से सहायता भी नहीं करते। पति की मौत के समय वृद्धा ने हाथ चूड़ियां बेचकर सारी रस्में निभाई थी। दो दिन पहले ही उसे उसके दोनों बच्चों ने उसे बुरी तरह से मारा था। इससे त्रस्त होकर वह वसई पुलिस थाने पहुंची। वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने उसे जमानतदार लाने के लिए कहा। वहां वृद्धा ने गुहार लगाई कि मुझे जीने दो, या फिर ज़हर देकर मार डालो। इससे वहां उपस्थित पुलिस वाले भी सोच में पड़ गए। बाद में वृद्धा ने डीवायएसपी मंजिता वणजारा से मिलकर शिकायत करने के लिए पुलिस वालों से गुहार लगाई।

Input : Dainik Bhaskar

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