स्कूलों में या आसपास जंक फूड बेचने पर कार्रवाई होगी। सरकार ने इसको लेकर सरकारी स्कूलों के साथ निजी स्कूलों में भी निगरानी का आदेश दिया है। खाद्य सुरक्षा के तहत सुरक्षित और संतुलित आहार को लेकर सरकार ने शिक्षा विभाग को इस संबंध में निर्देश दिया है। सरकारी स्कूल के साथ निजी स्कूल में भी इसे लागू करने के लिए प्रशासन के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी जिम्मेदारी मिली है। सैचुरेटेड खाद्य पदार्थ बच्चों को नहीं मिले, इन्हें यह सुनिश्चित करना है।
स्कूल प्राधिकरण राष्ट्रीय पोषण संस्थान के साथ विभिन्न एक्सपर्ट की ओर से जारी की गई आहार संबंधी गाइडलाइन को स्कूलों में पालन करवाना है ताकि बच्चे स्वस्थ रहें। स्कूलों में चलनी वाली कैंटीन या बाहर किसी भी तरह के जंक फूड को नहीं बेचा जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने निर्देश दिया है कि बच्चों के लिए स्कूल जो मेन्यू जारी करते हैं, उसमें पोषण विज्ञान और माता-पिता की मदद ली जाएगी।
स्कूल परिसर में केवल बेच सकेंगे ये सामान
स्कूल परिसर में बच्चों के लिए केवल स्टेशनरी सामान या उनके प्रात्साहन के काम में आने वाली चीजें ही बेच सकेंगे। यही नहीं स्कूल अहाते या बस आदि पर जंक फूड से संबंधित पोस्टर लगाने पर भी रोक लगाई गई है।
इसमें होते हैं सैचुरेटेड फैट
चिप्स, कुकीज, केक, फ्रोजन फूड, पेस्ट्री, चॉकलेट, आइसक्रीम जैसे खाद्य पदार्थ में सैचुरेटेड फैट होते हैं।
बच्चों में एकाग्रता की होती है कमी, धड़ल्ले से बेचे जा रहे ये सामान
डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान अमरेंद्र पांडेय ने बताया कि सर्वे में यह सामने आया है कि सैयुरेटेड खाद्य प्रदार्थ से एकाग्रता का स्तर प्रभावित होता है। सूजन शरीर में बढ़ाता है। पहले किए गए अध्ययनों से साबित हुआ है कि किसी भोजन में सैचुरेटेड फैट की ज्यादा मात्रा होती है वह आपके शरीर और दिमाग दोनों को प्रभावित करता है। कोविड-19 की स्थिति से यह और बढ़ा है। स्कूलों में और परिसर के आसपास इस तरह के सामान धड़ल्ले से बेचे जा रहे। इसे लेकर सभी बीईओ को टास्क दिया गया है।
Source : Hindustan