मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि की फर्जी वेबसाइट और रजिस्ट्रार के नाम से फर्जी बैंक अकाउंट खोलकर बेरोजगारों को बहाली का झांसा देकर ठगी करने पर शुक्रवार को पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की।
विवि के रजिस्ट्रार कार्यालय का क्लर्क विक्रम कुमार और एलएनटी कॉलेज का क्लर्क मनीष कुमार इस रैकेट का मास्टर माइंड निकला। पटना साइबर सेल की जांच में दोनों की पोल खुल गई जिसके बाद विवि थाने की पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। विक्रम को आमगोला की साहू गली और मनीष को सदर थाना के मझौली धर्मदास स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। एसएसपी जयंतकांत ने बताया कि विवि पुलिस ने दोनों आरोपितों को कोर्ट में पेशकर जेल भेज दिया। इनके मोबाइल जब्त कर लिए गए जिसका इस्तेमाल वेबसाइट बनाने के दौरान किया गया था।
तीन साल पहले विवि की वेबसाइट पर बहाली के लिए रिक्तियां जारी होने का हवाला देकर बहाली की प्रक्रिया जानने के लिए बेरोजगार युवक रजिस्ट्रार ऑफिस में संपर्क करने लगे। तब विवि के कुलसचिव के संज्ञान में मामला आया। इसके बाद तत्कालीन रजिस्ट्रार अजय कुमार राय ने विवि थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने पुलिस को बताया था कि विवि की फर्जी वेबसाइट बनाई गई है जिस पर अलग-अलग पदों पर 34 रिक्तियां दिखाकर बहाली फर्जीवाड़ा का रैकेट चलाया जा रहा है। फर्जी वेबसाइट पर तीन कैशियर, छह लोअर डिविजन कलर्क, 12 सीनियर डिविजन कलर्क, पांच असिस्टेंट, पांच सेमी प्रोफेशनल असिस्टेंट और तीन लाइब्रेरी अटेंडेंट की बहाली का विज्ञापन दिया गया जबकि विवि प्रशासन की ओर से इस तरह की कोई वेबसाइट या बहाली का विज्ञापन नहीं दिया गया।
विज्ञापन जारी करने के साथ ही साइबर फ्रॉड के शातिरों ने रजिस्ट्रार के नाम का फर्जी बैंक अकाउंट भी खोल लिया था। इस खाते में फीस की राशि जमा कराने के लिए कहा गया था। एफआईआर के बाद दो साल तक पुलिस ने कोई जांच नहीं की। आईजी की समीक्षा में मामला सामने आया, तब इसकी जांच के लिए पटना की साइबर सेल को मदद के लिए पत्र भेजा गया। साइबर सेल ने साइट बनाने की जांच की। इसमें रजिस्ट्रार ऑफिस के क्लर्क विक्रम कुमार और प्रतिनियुक्ति में एलएनटी कॉलेज से रजिस्ट्रार ऑफिस में काम कर रहे मनीष कुमार की पोल खुल गया। साक्ष्य सामने आने के बाद एसएसपी जयंतकांत ने इसकी समीक्षा की और गिरफ्तारी का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद दोनों की गिरफ्तारी हो सकी।
Source : Hindustan