आगरा. इस समय ताजमहल लगातार सुर्खियों में है. फिर वह ताज महल/तेजो महालय विवाद हो, ताज में भगवा पहन कर जाने पर रोक या फिर ताज के 22 कमरों का सच. लेकिन इस बार ताजमहल के सुर्खियों में रहने का अलग कारण है. आगरा निवासी सिटीजन फोरम संस्था के अध्यक्ष उमेश चंद्र वर्मा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार सिंह की कोर्ट में एक परिवाद दायर किया है. इसमें कहा गया है कि शाहजहां के 367वें उर्स के दौरान ताजमहल में तीन दिन तक निशुल्क प्रवेश रखा गया. ताजमहल पर इस दौरान भीड़ उमड़ी जिससे ताज को नुकसान पहुंचा है. परिवाद में अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल के साथ ही अन्य लोगों के खिलाफ थाना ताजगंज में मुकदमा दर्ज करने के आदेश की मांग की गई है.

वर्मा ने कोर्ट में 6 पेज का परिवाद दायर किया है जिसमें 21 पॉइंट्स हैं. प्रार्थना पत्र के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर ताजमहल के अंदर 27 व 28 फरवरी और 1 मार्च को शाहजहां का 367वें उर्स का आयोजन किया गया था. इस दौरान ताजमहल में प्रवेश निशुल्क था. उर्स के आखरी दिन यानी की 1 मार्च को सवा लाख से ज्यादा लोग ताज में पहुंचे थे और उस भीड़ को नियंत्रित करने में पुरातत्व विभाग और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा के जवान नाकाम साबित हुए थे.

भीड़ ने जवानों के साथ की अभद्रता

वादी ने परिवाद के द्वारा आरोप लगाया है कि भीड़ ने सीआईएसएफ के जवानों के साथ भी अभद्रता की थी. ताजमहल की की सुरक्षा व्यवस्था को तार तार करने के साथ ही ताज के अंदर समान को नुकसान पहुंचाया था. इस दौरान रोड पर भयंकर जाम लगा रहा और यातायात पुलिसकर्मी भी नाकाम ही नजर आए. वादी ने प्रार्थना पत्र में पुरातत्वविद् के अधीक्षक राजकुमार पटेल, महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के विरुद्ध थाना ताजगंज में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है. सीजेएम ने वादी के बयान दर्ज कर पत्रावली पर 16 जून की अगली तारीख दी है.

Source : News18

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