बीआरए बिहार विवि की फर्जी वेबसाइट बनाकर नौकरी के लिए बहाली का विज्ञापन जारी करने के मामले में पंखाटाली निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशीष विवेक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। विवेक कम्प्यूटर साइंस से एमटेक किया है। शहर में कई अलग-अलग जगहों पर उसके ठिकाने हैं। पुलिस के अनुसार अहियापुर के गलत पते पर सिम ले रखा है। कलमबाग चौक इलाके में प्रतिष्ठान है और पंखा टोली में अपना घर बनवा रहा है। उसकी गिरफ्तारी मोबाइल टावर लाकेशन के आधार पर पुलिस ने की है।
विवि थानेदार रामनाथ प्रसाद ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आशीष विवेक से वरीय पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की। उसका स्वीकारोक्ति बयान दर्ज किया गया है जिसमें उसने बताया है कि विवि से मुझे एक ई-मेल मिला था जिसमें सॉफ्टवेयर की मांग की गई थी। कहा गया था कि बिहार विवि और रजिस्ट्रार के जी-मेल से मिलता जुलता एक डॉमिन पेज चाहिए। इसके लिए आशीष विवेक ने नया फर्जी वेबसाइट बनाया जिस पर अलग-अलग पदाके लिए बहाली का विज्ञापन निकाला। यह मामला नौकरी से जुड़ा था। इस कारण बड़ी संख्या में बेरोजगार अभ्यर्थी विवि कार्यालय में संपर्क करने लगे। इसके बाद मामला रजिस्ट्रार के संज्ञान में पहुंचा और विवि प्रशासन ने जांच टीम गठित कर दी। फर्जीवाड़ा खुलने के बाद मामले में 16 दिसंबर 2019 को विवि थाने में तत्कालीन रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार राय ने एफआईआर दर्ज कराई।
पुलिस जांच के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मी विक्रम कुमार और मनीष मधुर की संलिप्तता सामने आयी। बीते 6 मई को विक्रम और मनीष को गिरफ्तार किया गया। दोनों से पूछताछ के बाद आशीष विवेक को चिह्नित किया गया। विवि थानेदार ने बताया कि आशीष विवेक का नाम पहले ही जांच में सामने आ गया था लेकिन इसका छद्म पता अहियापुर होने के कारण सत्यापन नहीं हो पा रहा था। विक्रम और मनीष से पूछताछ में आशीष का सत्यापन हुआ तो उसे रविवार को विवि गेट के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। कई बिन्दुओं पर उससे पुलिस ने पूछताछ की है।
छह पदों के लिए विवि में 34 सीटों पर मांगे गये थे आवेदन : बता दें कि बहाली के लिए ठगी का रैकेट चलाने वाले इस गिरोह ने अलग-अलग छह पदों के लिए विवि में 34 सीटों की रिक्ति पर नियुक्ति का विज्ञापन जारी किया था।
इसके लिए रजिस्ट्रार का फर्जी बैंक एकाउंट तक खोला गया था जिसमें अभ्यर्थियों को शुल्क जमा कराने के लिए विज्ञापन में कहा गया था। इस तरह बड़ी संख्या में बेरोजगारों से शुल्क के रूप में करोड़ों रुपये ठगी करने की साजिश रची गई थी।
Source : Hindustan