वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दूसरे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था की तुलना में बेहतर है लेकिन इसमें आगे सुस्ती आ सकती है. वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के उपायों की वजह से आगे महंगाई काबू में आ सकती है. अर्थव्यवस्था की विकास की रफ्तार को बरकरार रखना, व्यापार घाटे को बजट के अंदर रखना और एक्सचेंज रेट को इकोनॉमी के बाहरी फंडामेंटल के अनुरूप बनाए रखना नीति निर्धारण के लिहाज से बड़ी चुनौतियां हैं.
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में कमोडिटी की बढ़ती कीमतों, सप्लाई चेन की बाधाओं और मोनेटरी पॉलिसी के सख्त होने के कारण वैश्विक आर्थिक विकास में सुस्ती आने का अनुमान जाहिर किया जा रहा है. गौरतलब है कि पिछले महीने जारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च को समाप्त तिमाही के दौरान आर्थिक विकास दर 4.1 फीसदी रही जो एक साल में सबसे सुस्त ग्रोथ थी. पूरे साल की बात करें तो आर्थिक विकास दर 8.7 फीसदी रही जो सरकार के 8.9 फीसदी के दूसरे अग्रिम अनुमान की से कम है.
महंगाई पर लगेगी लगाम
वित्त मंत्रालय की मासिक अर्थव्यवस्था रिपोर्ट में कहा गया है आने वाले दिनों में महंगाई पर लगाम लग सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाकर 4.90 फीसदी करने, सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी में कटौती और कस्टम ड्यूटी में में बदलाव, लक्षित तबकों के लिए सब्सिडी में विस्तार तथा सरकार के पूंजी खर्च बढ़ाने जैसे फैसलों से महंगाई के काबू में आने की उम्मीद है.
इन कदमों से मिलेगी अर्थव्यवस्था को गति
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडियम टर्म में, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव्स व स्कीम की सफल लॉन्चिंग, एनर्जी के नवीकरण स्रोतों के विकास से क्रूड ऑयल पर आयात की निर्भरता में कमी के साथ ही फाइनेंशियल सेक्टर की मजबूती से आर्थिक विकास को गति मिलने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष के दौरान मैक्रोइकोनॉमिक स्थायित्व को प्राथमिकता देने की जरूरत है. गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से क्रूड ऑयल और अन्य कमोडिटी के रेट बढ़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है. यूक्रेन संकट के कारण ग्लोबल स्पलाई चेन बाधित हो गई. इसका असर लगभग हर देश पर हुआ है. इससे अमेरिका सहित कई देशों में मंदी आने की संभावना बढ़ गई है.
Source : News18