सासाराम. बिहार के हिस्से एक बार फिर से शहादत आई है. देश की अंदरूनी सुरक्षा में तैनात रोहतास के सीआरपीएफ जवान धर्मेंद्र कुमार नक्सलियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हैं. रोहतास जिला के बिक्रमगंज अनुमंडल क्षेत्र के काराकाट थाना इलाके के दनवार के रहने वाले सीआरपीएफ जवान धर्मेंद्र कुमार उड़ीसा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए. गांव के लाल के शहादत की खबर सुनने के बाद उनके गांव में मातम पसर गया है.

किसान पिता रामायण सिंह के बड़े पुत्र धर्मेंद्र कुमार सिंह वर्ष 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनकी पहली पोस्टिंग मोकामा में हुई थी. वो उड़ीसा के नऊपड़ा जिला के पथधारा क्षेत्र में नक्सलियों से लोहा लेते शहीद हो गए. बता दें कि इस दौरान दो अन्य सीआरपीएफ के जवान भी शहीद हुए हैं. धर्मेंद्र कुमार सिंह के शहीद होने की सूचना मिलते ही उनके गांव दनवार के सरैया में मातम फैल गया है. उनके जानने तथा चाहने वाले लोगों की भीड़ शहीद जवान के घर पर इकट्ठा हो गई है. मृतक के परिवार में छोटे भाई के अलावा उनके किसान पिता तथा माता हैं जो बेहाल हैं.

बच्चों के सिर से उठा पिता का साया

दिवंगत जवान की पत्नी आशा देवी भी अपना सुहाग खोने के बाद से बदहवास हैं. उनका 12 साल का पुत्र रौशन आठवीं क्लास में पढ़ता है, जबकि 10 साल की बेटी खुशी अपने पिता के शहीद होने से पूरी तरह से मर्माहत है. बता दे कि सीआरपीएफ के अधिकारियों ने देर रात ही फोन पर परिजनों को इस सर्वोच्च बलिदान की सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही परिवार में मानो कोहराम मच गया.

किसान पिता ने खो दिया कमाऊ पूत

CRPF के कांस्टेबल जवान धर्मेंद्र कुमार सिंह की वर्ष 2011 में CRPF में नौकरी लगी थी. उनके पिता रामायण सिंह किसान हैं तथा माता सामान्य ग्रहणी है. गांव में खेती-बाड़ी कर अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर सीआरपीएफ में भर्ती कराया. उनकी आंखों का आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अपने बुढ़ापे के सहारा छिन जाने का उन्हें काफी दुख है लेकिन अपने पुत्र के सर्वोच्च बलिदान पर उन्हें गौरव भी हैं. मृतक जवान की मां रो-रोकर बेहाल है.

पत्नी आशा का रो-रो कर बुरा हाल

धर्मेंद्र की शहादत की खबर सुनने के बाद से पत्नी आशा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. वो चिंतित हैं कि उनके दो बच्चों का अब क्या होगा? पूरे परिवार का धर्मेंद्र ही सहारा था. बुजुर्ग माता-पिता से लेकर पूरा परिवार का भी ख्याल रखते थे. आशा देवी के आंखों का आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा है. जब से उनके पति के शहीद होने की सूचना मिली है, वो पूरी तरह से सन्न है. बता दें कि धर्मेंद्र की शादी वर्ष 2005 में भोजपुर जिला के पीरो थाना अंतर्गत रजमल डीह गांव में हुई थी.

Source : News18

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