पौराणिक कथा के अनुसार सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था इस मंथन से हलाहल विष निकला तो चारों तरफ हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया,विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए तभी से हर साल सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने का रिवाज शुरू हो गया।

2. माता सती ने भगवान शंकर को पाने के लिए श्रावण के महीने में ही अत्यंत साधना की थीं, और प्रतिदिन बालू/ मिट्टी का शिवलिंग निर्माण कर के उस शिवलिंग का पूर्ण विधि पूर्वक से पूजा अर्चना करती थी,और पूजा करने के बाद शिवलिंग को जल में प्रवाहित कर देती थी।

3. श्रावण माह में जब भगवान विष्णु चातूर मास के देवसोनी एकादशी को शेषनाग के सय्या पर सोने के लिए जाते है उस से पहले भंडारिया नवमी को शिव जी का आराधना कर के ९ बिल्वपत्र अर्पित कर लक्ष्मी जी के साथ शिव जी को पूरे श्रृष्टि का कार्यभार सौंप देते है ।

4. बाल काल से ही माता पार्वती शिव जी को पाने के लिए अत्यंत साधना करती थीं । भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें श्रावण माह में ही दर्शन दिए थे,और वो पहली बार इसी मास में मिली थी ।

5. श्रावण माह में ही भगवान शिव जी ने माता पार्वती जी को अमर कथा सुनाई / श्रवन कराई थी।

महाशिवपुराण में अन्य अन्य जातियों के लिए अन्य-अन्य मिट्टी का उल्लेख आता है, जिसे उपयोग में लाने से विशेष फल प्राप्त होता है।

1. ब्राह्मण के लिए- लाल मिट्टी.

2. वैश्य के लिए – पीली मिट्टी.

3. क्षत्रिय के लिए-लाल मिट्टी.

4. शुद्र के लिए- काली मिट्टी.

भगवान शिव की पूजा का लाभ

भगवान शिव की भक्ति और पूजा के लिए यह महीना सबसे उत्तम माना गया है. श्रावण मास में विधि-विधान से शिव साधना करने पर व्यक्ति के सभी प्रकार के संकट और बाधाएं दूर होती हैं और उसे जीवन से जुड़े से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। देवों के देव महादेव की पूजा के बारे में मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति सच्चे मन से उनकी साधना करता है, उसे जीवन में कभी किसी चीज का भय नहीं रहता है और वह शिव की कृपा से दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करता है।

1.जीवन में कई बार कुछ लोगों के जीवन में पग-पग में अड़चनें आती हैं और तमाम कोशिशों के बाद भी दूर नहीं होती हैं. यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो इस श्रावण मास भगवान शिव की साधना पूरे विधि-विधान से करें,ऐसा करने पर शिव कृपा से आपकी सफलता के मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं शीघ्र ही दूर हो जाएंगी।

2. भगवान शिव की साधना शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली मानी गई है,ऐसे में यदि आपको हर समय जाने-अनजाने शत्रुओं का खतरा बना रहता है तो आप श्रावण मास में प्रतिदिन विधि-विधान से शिव पूजन करें।

3.भगवान शिव की साधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है यदि आपकी यह कामना अभी अधूरी है तो स्वस्थ,सुंदर और गुणी संतान की प्राप्ति के लिए श्रावण में मार्कंडेय महादेव की साधना करें संतान प्राप्ति के लिए सावन के महीने में दूध में चंदन मिलाकर शिव की साधना का विधान है।

4. भगवान शिव की साधना करने वाले पुरुष हो या फिर स्त्री जीवन में मनचाहा जीवनसाथी मिलता है यदि आपको अभी तक सच्चा जीवनसाथी नहीं मिल पाया है तो उसे पाने के लिए सावन के महीने में पड़ने वाले प्रदोष में विशेष रूप से पूजा करें।

5. भगवान शिव को आरोग्य का देवता भी माना जाता है आरोग्य का सुख पाने के लिए उनके भक्त बाबा वैद्यनाथ की विशेष रूप से पूजा करते हैं मान्यता है कि सच्चे मन से शिव की साधना करने वाले भक्त को कभी किसी प्रकार का रोग-शोक नहीं सताता है और सुखी जीवन जीता है।

6. कहते हैं अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल उसका क्या करे जो भक्त महाकाल का भगवान शिव जिन्हें मृत्युंजय भी कहा जाता है, उनकी साधना करने वाले भक्त को कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

7. कल्याण के देवता माने जाने वाले भगवान शिव की साधना करने वाले भक्त को जीवन में कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती है श्रावण मास में शिव की साधना करने पर आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं और शिव कृपा से घर धन-धान्य से भरा रहता है।

8. यदि आपको लगता है कि आपके भीतर जीवन से जुड़ी तमाम तरह परेशानियों का मुकाबला करने में दिक्कत होती है, या फिर कहीं आपको उनका सामना करने से डर लगता है तो अपने आत्मबल को बढ़ाने और उनसे पार पाने के लिए शिव साधना करें।

9. यदि आपको लगता है कि आपके परिवार के प्रेम और सामंजस्य को किसी की बुरी नजर लग गई है,और हर समय छोटी-छोटी बातों को लेकर कलह होती रहती है तो उसे दूर करने और सुख-शांति को पाने के लिए शिव साधना सबसे उत्तम उपाय माना गया है। भगवान शिव को गृहस्थ जीवन का आदर्श माना जाता है, ऐसे में पारिवारिक सुख को पाने के लिए शिव की साधना जरूर करें।

शिव की पूजा कैसे करें?

सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव से पूजा एवं जल और दूध का अभिषेक करता है,उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि यदि कुंवारी कन्याएं सावन के महीने में विधि पूर्वक शिव पूजन करती हैं तो उन्हें जल्द ही अच्छे वर की प्राप्ति होती है,यहीं नहीं जो भक्त इस पूरे महीने भक्ति भाव से पूजन करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मान्यतानुसार सावन का महीना शिव उपासना के लिए सबसे श्रेष्ठ है और भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो भक्तों के पूजन से अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं,ऐसा माना जाता है कि वे बहुत भोले हैं इसलिए उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है। वैसे तो शिव की पूजा कभी भी की जा सकती है लेकिन सावन के पूरे महीने में शिव पूजन करने के लिए सोमवार का दिन श्रेष्ठ माना जाता है।

सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागें। इसके बाद पूरे घर की सफाई करके स्नानादि से निवृत्त हो जाएं,पूरे घर में गंगा जल या पवित्र नदी का जल छिड़कें। पूजा करते वक्त कभी भी काले वस्त्र धारण ना करें बल्कि सावन में मुख्य रूप से हरा, केसरिया, पीला, लाल और सफेद रंग के वस्त्र धारण करना लाभकारी माना जाता है।

इस दिन भगवान शंकर के साथ पार्वती जी की भी पुष्प, धूप, दीप और जल से पूजा करनी चाहिए,सोमवार को भगवान शिव के व्रत या पूजन के दिन महामृत्युंजय मंत्रका 108 बार जाप करना भी अति श्रेष्ठ माना जाता है। इस जप से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है एवं मन को शांति मिलती है।

इसके अलावा ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना भी सावन सोमवार में लाभदायक होता है। इससे व्यक्ति का मानसिक तनाव दूर होता है। यदि आप व्रत करते हैं तो पूरे दिन फलाहार का सेवन करें और दिन में एक बार भोजन करें जिसमें अन्न और नमक का सेवन न करें।

आचार्य नितेश पाठक ‘सौरव’

वेद मंत्र नि:शुल्क ज्योतिष परामर्श केंद्र (अस्सी, वाराणसी उप्र०) 

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