कई विपक्षी नेताओं और भाजपा के एक सहयोगी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारतीय सेना ‘अग्निपथ’ योजना के तहत युवाओं की भर्ती में जाति को एक कारक के रूप में इस्तेमाल कर रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तुरंत इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि यह केवल ”एक अफवाह” है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सरकार पर इस मुद्दे को लेकर तीखा हमला बोला। वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता उपेंद्र कुशवाहा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने भी सेना की भर्ती के लिए जाति प्रमाणपत्र मांगे जाने संबंधी कथित दस्तावेज ट्विटर पर साझा कर इस पर चिंता जताई।
सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोप लगाया कि आलोचक सेना का ”अनादर और अपमान” कर रहे हैं और युवाओं को सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, ” मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह एक अफवाह है। आजादी से पहले जो (भर्ती) व्यवस्था थी, वह अब भी जारी है और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।”
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सेना की भर्ती प्रक्रिया समान रूप से स्वतंत्रता पूर्व से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि इसे औपचारिक स्वरूप वर्ष 1947 के बाद ”विशेष सेना आदेश” के तहत दिया गया और अब भी उसका अनुपालन किया जा रहा है। पात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि सेना ने वर्ष 2013 में, जब कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार थी तब, एक जनहित याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया था। पात्रा के अनुसार, हलफनामे में कहा गया कि उसकी भर्ती में धर्म और जाति की कोई भूमिका नहीं है और उम्मीदवारों से यह जानकारी केवल प्रशासनिक कारणों से ली जाती है। इससे पहले राजद नेता ने आरोप लगाया, ” केंद्र में संघ (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) की घोर जातिवादी सरकार अब अग्निपथ रंगरूटों में से 75 प्रतिशत की छंटनी करने के दौरान जाति और धर्म देखेगी।”
गौरतलब है कि अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों में सैनिकों की अल्पकाल के लिए भर्ती की योजना है जिसकी विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है। इसके तहत भर्ती होने वाले ” अग्निवीरों” में से 75 प्रतिशत को चार साल के बाद सेवामुक्त कर दिया जाएगा जबकि 25 प्रतिशत उम्मीदवार दीर्घकालिक सेवा के लिए चुने जाएंगे। भर्ती के लिए आवेदकों से अन्य प्रमाण पत्रों के साथ जाति प्रमाण पत्र भी मांगने संबंधी सेना के कथित दस्तावेज को साझा करते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कहा, ”जब सेना में कोई आरक्षण नहीं है तो जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है।” उन्होंने कहा, ”राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भाजपा सरकार जाति आधारित जनगणना से दूर भागती है, लेकिन देश के लिए जान देने को तैयार अग्निवीरों से जाति पूछती है।” यादव ने दावा किया कि अग्निवीरों से जाति इसलिए पूछी जा रही है क्योंकि बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी की जाएगी।
Source: Live Hindustan