वैशाली जिले के बेलवर गांव में मंगलवार रात ऐतिहासिक पीपल के वृक्ष में आग लग गई। गांव के लोग जुट और पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग नहीं बुझी। बुधवार सुबह तक यह वृक्ष समूल राख हो गया। इस वृक्ष में भगवान बुद्ध जैसी आकृति बनी हुई थी। वृक्ष का अधिकतर हिस्सा वर्षों से सूखा हुआ था। विशाल ढांचे में कुछ हरी डालियां अब भी थीं, वह भी जल गईं। इतिहासकारों के अनुसार पीपल का यह वृक्ष भगवान बुद्ध के अंतिम वर्षावास स्थल पर था। यहां सती स्थान भी है। वृक्ष सैकड़ों वर्ष पुराना था।
2011 में इस वृक्ष का एक विशाल हिस्सा टूट था जिसमें भगवान बुद्ध की आयु संस्कार जैसी आकृति बन गई थी। इसके बाद भगवान बुद्ध से संबंधित कई इतिहासकार व शोधार्थी यहां आए थे। कई टीम ने यह घोषणा की थी कि बुद्ध का आयु संस्कार स्थल वेलुवग्राम अब का बेलवर गांव ही हैं।
ग्रामीण विनय कुमार सिंह, नवीन कुमार आदि ने बताया कि पीपल के वृक्ष के पास लोग पूजा अर्चना करते हैं। शाम में लोग पूजा किए थे। लेकिन अचानक रात में कैसे आग लगी यह पता नहीं चला। इस घटना के बाद से गांव के लोग काफी दुखी हैं। बेलवर वैशाली से महज 12 किमी की दूरी पर है।
वृक्ष की सही आयु की जांच के लिए वन विभाग ने की थी अनुशंसा :
वर्ष 2011 में मुजफ्फरपुर क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के सहायक वन संरक्षक आरके राम ने तिरहुत के आयुक्त को यहां का दौरा करने के बाद पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि पीपल के वृक्ष में स्वत: विकसित मानव आकृति के विवेचन की आश्वयकता है। उन्होंने पीपल के वृक्ष की आयु की सही जानकारी के लिए बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों से जांच कराने की अनुशंसा की थी।
सारनाथ के कुलपति ने भी की थी वर्षावास की पुष्टि :
इस वर्ष फरवरी में केंद्रीय उच्य शिक्षा संस्थान सारनाथ (उत्तर प्रदेश) के कुलपति डॉ बीडी नेगी बेलवर गांव आए थे। उन्होंने बुद्ध के आयु संस्कार विसर्जन स्थल एवं चौपाल चैत्र बेलवर में पहुंचकर दो दिनों तक अध्ययन किया है। कुलपति डॉ वेन बानगचुक डोर्जी नेगी ने कहा कि बुद्ध के अंतिम वर्षावास स्थल चौपाल चैत्य बेलवर ही है जो उपेक्षित है। उन्होंने कहा था कि अध्ययन में पता चलने के बाद कई पदाधिकारियों, साहित्यकारों व राजनेताओं ने उक्त क्षेत्र के विकास को ले प्रयास किया है, लेकिन सरकार तक सारे तथ्यों को सही ढंग से नहीं रखा गया। भगवान बुद्ध के सारनाथ से लेकर वैशाली तक कई महत्वपूर्ण स्थल हैं।
Source : Hindustan