कोलंबो. श्रीलंका में राष्ट्रपति के बाद नए प्रधानमंत्री के नाम का ऐलान भी हो चुका है. 72 साल के दिनेश गुणवर्धने नए प्रधानमंत्री बनाए गए हैं. संसद में सदन के नेता ने शुक्रवार को पीएम पद की शपथ ली. गुणवर्धने पिछली गोटबाया-महिंदा सरकार में विदेश मामलों और शिक्षा मंत्री थे. उनके परिवार का भारत से गहरा नाता रहा है. गुणवर्धने के पिता फिलिप गुणवर्धने ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी.
संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड में शिक्षित दिनेश गुणवर्धने एक ट्रेड यूनियन नेता और अपने पिता फिलिप गुनावर्धने की तरह एक भयंकर सेनानी रह चुके हैं. फिलिप गुनावर्धने को श्रीलंका में समाजवाद के जनक के रूप में जाना जाता है. फिलिप गुनावर्धने का भारत के प्रति प्रेम और साम्राज्यवादी कब्जे के खिलाफ स्वतंत्रता की दिशा में प्रयास 1920 के दशक की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू हुआ था. इस काम में उनकी पत्नी मे भी बखूबी साथ दिया.
जयप्रकाश नारायण और वीके कृष्ण मेनन के सहपाठी
फिलिप गुणवर्धने विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में जयप्रकाश नारायण और वीके कृष्ण मेनन के सहपाठी रह चुके थे. उन्होंने अमेरिकी राजनीतिक हलकों में साम्राज्यवाद से स्वतंत्रता की वकालत की. बाद में लंदन में भारत की साम्राज्यवाद विरोधी लीग का नेतृत्व भी किया. बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके परिवार का भारत से घनिष्ठ संबंध रहा है. पूरे गुणवर्धने परिवार का भारत समर्थक झुकाव है.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ली थी शरण
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान श्रीलंका (तब एक ब्रिटिश उपनिवेश, सीलोन) से भागने के बाद प्रधानमंत्री के पिता फिलिप और मां कुसुमा ने भारत में शरण ली थी. वे उन भूमिगत कार्यकर्ताओं में शामिल हो गए थे, जो आजादी के लिए लड़ रहे थे और कुछ समय के लिए गिरफ्तारी से बच गए थे. 1943 में उन दोनों को ब्रिटिश खुफिया विभाग ने पकड़ लिया था. कुछ समय के लिए उन्हें बॉम्बे की आर्थर रोड जेल में रखा था. एक साल बाद फिलिप और उनकी पत्नी को श्रीलंका डिपोर्ट कर दिया गया और आजादी के बाद ही रिहा किया गया.
जवाहरलाल नेहरू जा चुके हैं फिलिप गुणवर्धने के घर
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में फिलिप गुणवर्धने के बलिदान की तारीफ की थी. नेहरू तब कोलंबो दौरे के समय फिलिप के घर भी पहुंचे थे. आजादी के आंदोलन में उनके योगदान के लिए व्यक्तिगत रूप से परिवार को धन्यवाद भी दिया था.
श्रीलंका की आजादी के बाद सांसद चुने गए थे फिलिप और कुसुमा
1948 में श्रीलंका को यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता मिलने के बाद फिलिप और कुसुमा दोनों संसद के सदस्य बने. फिलिप 1956 में पीपुल्स रिवोल्यूशन सरकार के संस्थापक नेता और कैबिनेट मंत्री थे. उनके सभी चार बच्चों ने कोलंबो के मेयर, कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों आदि सहित उच्च राजनीतिक पदों पर भी काम किया है.
भारत के साथ अच्छे रिश्ते के पैरोकार हैं दिनेश गुणवर्धने
अपने माता-पिता की तरह साफ-सुथरी छवि रखने वाले दिनेश गुणवर्धने भारत के साथ बेहतर संबंधों के पैरोकार हैं. वह 22 वर्षों से अधिक समय तक एक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री रहे हैं.
दिनेश गुणावर्धने का जन्म 2 मार्च 1949 को हुआ था. उन्होंने संसद सदस्य, कैबिनेट मंत्री के रूप में काम किया है. वर्तमान में वह वामपंथी महाजन एकथ पेरामुना (MEP) पार्टी के नेता हैं.
रॉयल कॉलेज कोलंबो में हुई पढ़ाई
दिनेश गुणावर्धने की शुरुआती शिक्षा रॉयल प्राइमरी स्कूल कोलंबो और रॉयल कॉलेज कोलंबो में हुई. स्कूल के बाद उन्होंने नीदरलैंड स्कूल ऑफ बिजनेस (न्येनरोड बिजनेस यूनिवर्सिटी) में आगे की पढ़ाई की. बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिप्लोमा के साथ ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की.
भारत सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक और यहां तक कि पौराणिक दृष्टि से भी हजारों वर्षों से श्रीलंका का सबसे करीबी पड़ोसी रहा है. दोनों देश उत्कृष्ट संबंध को बरकरार रखने को महत्वपूर्ण मानते हैं. गुणवर्धने के पीएम बनने के बाद उनके कुछ करीबी सहयोगियों का कहना है कि आने वाले दिनों में नए प्रधानमंत्री और भी बहुत कुछ करने वाले हैं; जिससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हो. श्रीलंका इन दिनों बहुत अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. गुणवर्धने ऐसा कुछ भी नहीं कर पाएंगे, जिससे उनकी इमेज खराब हो.
Source : News18