चार साल पहले बाढ़ पीड़ितों के लिए दवा खरीद में हुए घोटाले की फाइल एक बार फिर खोल दी गई है। बाढ़ के दौरान अनियमित रूप से खरीदे गए 60 लाख की दवा के भुगतान पर तत्कालीन डीएम धर्मेंद सिंह ने रोक लगा दी थी। बाद में आपूर्तिकर्ता एजेंसी के अपील करने पर अब हाईकोर्ट ने सिविल सर्जन से जवाब मांगा है।

वर्ष 2018 में तत्कालीन सिविल सर्जन ने बेजरूरत करीब 60 लाख रुपये की दवा खरीदी थी। इस दवा खरीद के लिए न तो विभागीय अनुमति ली गई और न खरीद प्रक्रिया का पालन किया गया। तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह ने इस बिल के भुगतान पर रोक लगा दी थी। बिल चार साल से कोषागार में ही पड़ा हुआ था। सिविल सर्जन के आग्रह पर कुछ माह पहले बिल तो वापस कर दिया गया, लेकिन आपूर्तिकर्ता एजेंसी को रोक के कारण राशि का भुगतान नहीं हो पाया। एजेंसी ने जब हाईकोर्ट में भुगतान के लिए अर्जी डाली है तो कोर्ट ने सिविल सर्जन से जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट ने पूछा है कि किस परिस्थिति में यह दवा खरीद की गई और एजेंसी को भुगतान क्यों नहीं हुआ, इस मामले में अपनी रिपोर्ट दें। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सिविल सर्जन डॉ.उमेशचंद्र शर्मा ने रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने बताया है कि तत्कालीन सिविल सर्जन द्वारा की गई खरीद के भुगतान पर जिला पदाधिकारी ने रोक लगा दी थी, इस कारण एजेंसी का भुगतान नहीं किया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि एक बार राशि लौटने के बाद तीन साल से विभाग से राशि की मांग की जा रही है, लेकिन राशि का आवंटन न होने के कारण एजेंसी को भुगतान नहीं किया जा रहा है।

2018 में हुई दवा खरीद के भुगतान पर तत्कालीन डीएम ने रोक लगायी थी। सिविल सर्जन को वे सभी बिल वापस कर दिए गए हैं। उक्त राशि का बिल दोबारा अभी तक नहीं आया है। -सुशील कुमार, कोषोगार पदाधिकारी

विभागीय जांच में भी पायी गई अनियमितता

सिविल सर्जन द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए दवा खरीद में मानक पालन नहीं किया गया। विभागीय स्तर पर भी करायी गई जांच में यह मामला सामने आया। इसके बाद विभाग ने उक्त राशि का आवंटन ही रोक लिया। बताया जाता है कि दवा खरीद के लिए कोई टेंडर नहीं निकाला गया। यहां तक कि अन्य आपूर्तिकर्ता एजेंसी से कोटेशन भी नहीं लिया गया। जिला स्तर पर बाढ़ के दौरान आवश्यक दवाओं का आकलन किये बिना ही यह खरीद की गई और उसके भुगतान ने वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में मार्च के अंतिम सप्ताह में बिल ट्रेजरी में जमा कराया गया। डीएम की आपत्ति पर विभाग ने राशि के आवंटन पर ही रोक लगा दिया।

Source : Hindustan

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