ट्रेनों को बेवजह रोकने वालों पर एसीपी (अलार्म चेन पुलिंग) डाटालॉगर नकेल कसेगा। चेन पुलिंग कर ट्रेनों की गति व सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ एसीपी डाटालॉगर जांच में मदद करेगा। रेलवे प्रशासन ने माइक्रोप्रोसेसर एवं प्रोग्रामिंग को मिलाकर एसीपी डाटालॉगर उपकरण बनाया है। इससे अलार्म चेन पुलिंग के दुरुपयोग पर प्रभावी तरीके से नकेल कसी जा सकेगी। ट्रेनों का बेहतर समय-पालन भी सुनिश्चित हो सकेगा। चेन पुलिंग के दुरुपयोग की स्थिति में यात्रा के दौरान ही घटना का सटीक दिन एवं समय की जानकारी मिल जाएगी। इससे चेन पुलिंग करने वालों को पकड़ना आसान होगा। साथ ही चेन पुलिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आरपीएफ के पास ठोस साक्ष्य उपलब्ध हो सकेगा।
चेन पुलिंग के कारण ट्रेनों में होने वाली अनावश्यक ब्रेक बाइडिंग की घटनाओं को भी रोकने में मदद मिलेगी। ब्रेक बाइडिंग के कारण ट्रेनों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है। यह डिवाइस खतरे की जंजीर के उपयोग पर पैनी नजर रखते हुए ट्रैक रिकार्ड रखने में सक्षम है। इसे रेलवे ने अपनी तकनीक का उपयोग करते हुए विकसित किया है। केवल प्रोग्रामिंग पार्ट के लिए एनआईटी पटना की मदद ली गई है। इस उपकरण का परीक्षण एक महीने तक किया गया, जिसमें यह पूर्णत: विश्वसनीय पाया गया। डिवाइस बहुत ही किफायती है। इसे लगाने में प्रति कोच महज 1700 रुपये खर्च आयेगा। वैशाली व सप्तक्रांति आदि महत्वपूर्ण ट्रेनों में लगाया जा सकता है।
रोजाना चेन पुलिंग की घटती है 50 घटनाएं : मुजफ्फरपुर से जुड़े चार रेलखंडों पर रोजना औसत 50 चेन पुलिंग की घटनाएं घटती हैं। सबसे अधिक मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर रेलखंड पर होती है।
Source : Hindustan