पिछले कुछ सालों में देश में कुत्तों के काटे जाने के मामलों में वृद्धि देखी गई है. सड़क-गलियों में घूमते आवारा कुत्ते और पालतू कुत्ते कभी भी किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं. देश के कई शहरों में कुत्तों के हमले में मासूम बच्चों की जान जाने की भी खबरें सामने आई हैं. कुत्तों के काटने पर मुआवजा दिए जाने वाली बात पर देश के मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय का बयान सामने आया है. सरकार का कहना है कुत्तों के काटने पर मुआवजा देने का कोई नियम नहीं है.
लिवस्टॉक की जनगणना में सामने आया है कि साल 2012 में देश में आवारा कुत्तों की जनसंख्या 171.4 लाख थी जो 2019 में घटकर 153.1 लाख हो गई है. लेकिन पालतू और आवारा कुत्तों के इंसानों को काटे जाने के मामले बड़े हैं.
देश के मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय ने संसद को दी जानकारी में कहा है कि कुत्तों के काटे जाने पर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती या फिर उसे भारी नुकसान पहुंचता है तो किसी तरह का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान नहीं है.
मंत्रालय का कहना है, प्रावधानों के अनुसार आवारा कुत्तों को कैद में नहीं रखा सकता है. नगर निगम के अधिकारी केवल आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के कोशिश कर सकते हैं. मंत्रालय ने कहा है हमारे पास कुत्तों के हमले में लोगों की मौत होने का कोई आंकड़ा भी नहीं है.
यूपी में सबसे ज्यादा कुत्ते
आवारा कुत्तों के मामले में उत्तर प्रदेश का नाम देश में सबसे ऊपर है. जहां इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. सबसे कम आवारा कुत्ते मिजोरम में हैं.
कुत्ते के काटने के मामले में अदालतों के पिछले फैसले
कुत्ते के काटने पर कोर्ट में पहुंचे मामलों में साल 2019 का चंडीगढ़ का मामला है जिसमें पालतू कुत्ते ने 10 साल के बच्चे को काट लिया था. मामले में कुत्ते के मालिक पर मुकदमा किया गया. जहां कोर्ट ने कुत्ते के मालिक पर आईपीसी की धारा 289 लगाई. जिसमें 6 महीने की सजा और 1000 रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों लगाए जा सकते हैं.
एक और मामले में कोर्ट ने पीड़ित को 2 लाख का मुआवजा देने के आदेश दिए थे. जिसमें नगर पालिका द्वारा एक लाख रुपये और राज्य सरकार द्वारा एक लाख रुपये कुत्ते के काटे जाने के एक हफ्ते के अंदर पीड़ित को दिए जाने की बता कही थी.
श्री जगन कमेटी
साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक कुत्तों के काटने वाले मामलों में मुआवजा देने को लेकर एक पैनल तैयार किया था. पैनल ने ऐपक्स कोर्ट में पांच सुझाव दिए. जिसमें जानवरों के काटे जाने के केस में मेडिकल स्टॉफ को ट्रेनिंग, सभी अस्पतालों में एंटी-रैबीज वैक्सीन, वेस्ट मैनेजमेंट, आवारा कुत्तों पर लगाम कसने और पालतू जानवरों को वैक्सिनेट करने की बात कही गई थी.
ऐसा करने वाला एक मात्र राज्य केरल
देश में केरल ही एकमात्र राज्य हैं जहां कुत्तों के काटने वाले मामलों में मुआवजा तय करने के लिए कमेटी है. केरल हाई कोर्ट के पूर्व जज एस. सिरी जगन की तीन सदस्यसीय वाली कमेटी को 2496 कुत्ते के काटने वाले केस मिले थे. जिसमें से 456 मामलों में मुआवजा दिया गया.
Source : Aaj Tak