जमीन के दाखिल-खारिज में तेजी लाने के लिए राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने व्यवस्था में बदलाव किया है। अब आपत्ति और गैर आपत्ति वाले मामलों का निपटारा अलग-अलग होगा। इसके लिए मामलों की अलग-अलग सूची बनाई जाएगी। इस बाबत विभाग ने सभी जिलों व अंचलों को दिशा-निर्देश दिया है।

जमीन के दाखिल-खारिज को सरल तरीके से कराने के लिए इसे सेवा का अधिकार अधिनियम में लाते हुए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके करीब 60 फीसदी मामलों में निर्धारित समय सीमा 35 दिन में दाखिल-खारिज के मामलों का निपटारा नहीं हो पाता है। हालांकि, किसी तरह की आपत्ति की स्थिति में इनके निपटारा के लिए अधिकतम 75 दिनों की समय सीमा निर्धारित है। अब विभाग ने सभी जिलों और अंचलों को यह निर्देश दिया है कि आपत्ति वाले दाखिल-खारिज के मामलों का निपटारा अलग करें।

हर माह आती हैं तीन दर्जन शिकायतें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को समय पर दाखिल-खारिज का निपटारा नहीं होने से संबंधित औसतन तीन दर्जन शिकायतें प्रत्येक महीने मिलती हैं। इसके मद्देनजर विभागीय स्तर पर यह व्यवस्था की गयी है। विभाग ने सभी सीओ समेत अन्य संबंधित पदाधिकारियों को खासतौर से हिदायत दी है कि वे दाखिल-खारिज से जुड़े मामलों का निपटारा हर हाल में निर्धारित समय में कर दें।

रोजाना आते हैं हजारों मामले

● 08 हजार औसतन आवेदन राज्य में रोजाना दाखिल-खारिज से जुड़े आते हैं

● 50 से 55 फीसदी मामलों में किसी न किसी तरह की आपत्ति होती है

● इस वजह से कई मामले अटक जाते हैं, जबकि कुछ रद्द कर दिये जाते हैं।

● 2021 से इसे सेवा का अधिकार अधिनियम से जोड़ा गया था

● 57 फीसदी ऑनलाइन आए आवेदन अब तक किए जा चुके हैं रद्द

● 40 फीसदी आवेदन प्रक्रियाधीन, 03 का ऑनलाइन निपटारा किया गया है

इसलिए की गई व्यवस्था

आपत्ति और बिना आपत्ति वाले मामलों का निपटारा एक साथ करने के कारण पूरी प्रक्रिया कुछ मामलों के कारण रुक जाती है। डीसीएलआर से लेकर सीओ तक इन मामलों का निपटारा तेजी से या समय पर दिखाने के चक्कर में बिना जांच किये ही अधिकांश मामलों को रद्द कर देते है। इससे लोगों को अंचल कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है।

Source : Hindustan

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