पर्यावरण की अनदेखी करने वाले जिले के 125 निजी नर्सिंग होम पर ताला लगेगा। सीएस ने इन चिह्नित नर्सिंग होम को बंद करने की नोटिस उनके संचालकों को भेज दिया है। इन संचालकों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपने यहां प्रदूषण नियंत्रण के दस्तावेज नहीं सौंपे हैं। बोर्ड ने ऐसे नर्सिंग होम को चिन्हित कर सीएस कार्यालय को इनके नाम के साथ कार्रवाई का पत्र भेजा था। ये नर्सिंग होम जूरनछपरा से लेकर उमानगर तक के इलाके के बीच के हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पत्र आने के बाद सीएस कार्यालय से इन सभी नर्सिंग होम को नोटिस भेजा है। नोटिस में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आये पत्र का हवाला देते हुए नर्सिंग होम को बंद करने को कहा गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सीएस को भेजे पत्र में कहा है कि इन नर्सिंग होम को कई बार पत्र लिखकर प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े हुए दस्तवेज मांगे गये लेकिन नर्सिंग होम ने दस्तावेज नहीं सौंपे।

उक्त सभी नर्सिंग होम में बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की भी व्यवस्था नहीं है और इसके लिए कोई कदम भी नहीं उठाया गया है। अस्पताल में पानी और वायु को प्रदूषण से बचाने के लिए कोई उपाये नहीं किये गये हैं। बोर्ड का कहना है कि नर्सिंग होम को चेतावनी देने के लिए वर्ष 2017, 2018, 2019 और 2021 में अखबारों में भी इश्तेहार दिये गये थे लेकिन इसके बाद भी निजी नर्सिंग होम ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई कदम नहीं उठाये। इसलिए बोर्ड ने नर्सिंग होम को बंद करने का फैसला लिया है। इससे पहले बायोमेडिकल वेस्ट का उठाव करने वाली संस्था मेडिकेयर ने भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 154 निजी नर्सिंग होम को पत्र लिखकर मेडिकल कचरा नहीं उठवाने की शिकायत की थी। बायो कचरा के निष्पादन में हीलाहवाली को लेकर पहले भी चेतावनी दी जाती रही है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के बाद इन सभी नर्सिंग होम को बंद करने का नोटिस जारी किया गया। ये प्रदूषण नियंत्रण के मानक पर खरे नहीं पाये गये हैं। बोर्ड की सख्ती के बाद और भी नर्सिंग होम की जांच चल रही है।– डॉ. यूसी शर्मा, सिविल सर्जन

Source : Hindustan

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