राज्य में हो रहे कुल बिजली खपत में तय मानक के अनुसार सोलर बिजली का उपयोग मौजूदा वित्तीय वर्ष से ही होने लगेगा। कंपनी ने तय किया है कि छह महीने में पर्याप्त मात्रा में सोलर बिजली की आपूर्ति की जाए ताकि करोड़ों रुपए सर्टिफिकेट के तौर पर सरकार को खर्च नहीं करना पड़े। अभी सर्टिफिकेट में जुर्माने के तौर पर सरकार को हर साल 200 करोड़ से अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं।

बिहार में अभी हर रोज सामान्यत 6400 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है। इसमें से कम से कम 640 मेगावाट सोलर बिजली का होना जरूरी है। बिहार अभी 890 मेगावाट सोलर बिजली की आपूर्ति करता है। लेकिन तकनीकी तौर पर इतनी बिजली नाकाफी है। चूंकि सोलर बिजली मात्र 12 घंटे ही आपूर्ति होती है। इसमें भी दिन के चार-पांच घंटे को छोड़ बाकी समय पूरी क्षमता के साथ सोलर बिजली का उत्पादन नहीं हो पाता है। इस कारण 890 मेगावाट बिजली कुल आपूर्ति में मात्र 400 मेगावाट ही रह जाता है। नियमानुसार तय मानक के अनुसार सोलर बिजली नहीं देने के एवज में आरईसी (रिन्यूअबल इनर्जी सर्टिफिकेट) प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। इसमें कंपनी को जुर्माने के तौर पर हर साल 200 करोड़ तक देना पड़ता है।

खरीदकर दी गई बिजली

पटना। नवीनगर की एक इकाई के बंद होने के कारण मंगलवार को राज्य में खरीदकर बिजली आपूर्ति की गई। मंगलवार की देर रात पीकआवर में कंपनी ने 58 सौ मेगावाट से अधिक बिजली आपूर्ति की। हालांकि मांग की तुलना में यह 300 मेगावाट कम रही। इस कारण राज्य के ग्रामीण इलाकों में घंटों लोडशेडिंग हुई। अधिकारियों के अनुसार बुधवार को नवीनगर बिजली घर चालू हो जाएगा। इसके बाद बिजली संकट दूर होगी।

वित्तीय वर्ष सोलर बिजली का लक्ष्य

2022-23 23.44 मेगावाट

2023-24 24.81 मेगावाट

2024-25 26.37 मेगावाट

2025-26 28.71 मेगावाट

2026-27 29.86 मेगावाट

2027-28 31.43 मेगावाट

2028-29 41.36 मेगावाट

2029-30 33.57 मेगावाट

Source : Hindustan

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