मुजफ्फरपुर के कुढ़नी के राजद विधायक अनिल सहनी की विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो गयी है। विधानसभा के प्रभारी सचिव पवन पांडेय ने शुक्रवार को उनकी सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी की। दरअसल, पिछले माह 3 सितंबर को अनिल सहनी को सीबीआई कोर्ट (दिल्ली) ने एलटीसी घोटाले में तीन साल की सजा सुनाई थी। उनकी सदस्यता भी सजा के दिन से ही खत्म की गयी है।

सहनी 2010 से 2018 तक जदयू सांसद रहे। इसी अवधि में उनके ऊपर एलटीसी घोटाले का आरोप लगा। आरोप है कि सांसद रहते उन्होंने यात्रा किए बगैर ही जाली ई-टिकट और फर्जी बोर्डिंग पास के माध्यम से लाखों का फर्जीवाड़ा किया। सहनी जदयू से दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। पहली बार वर्ष 2010 में उपचुनाव में सांसद बने और 2012 तक सदस्य रहे। वर्ष 2012 में दूसरी बार भी अवसर मिला और वे 2018 तक राज्यसभा सांसद रहे। सहनी 2020 में जदयू छोड़कर राजद में शामिल हो गए। राजद ने उन्हें कुढ़नी से उम्मीदवार बनाया और वे जीत गए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून में हुए संशोधन के मुताबिक अगर किसी सदन के सदस्य को कोर्ट से दो साल से अधिक की सजा होती है तो उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। इसी आधार पर पिछले दिनों राजद विधायक अनंत सिंह की सदस्यता भी खत्म हुई थी।

राजद को झटका, पर जिले में अब भी महागठबंधन भारी

विधायक अनिल सहनी की सदस्यता जाने से राजद को झटका लगा है। इसके बावजूद मुजफ्फरपुर में महागठबंधन का संख्या बल राजग पर भारी है। 11 में से छह सीटों पर महागठबंधन तो चार सीटों पर राजग का कब्जा है। पहले यहां राजद के पांच विधायक थे। मुजफ्फरपुर में जिन चार सीटों पर राजद का कब्जा है, उनमें मीनापुर से मुन्ना यादव, गायघाट से निरंजन राय, कांटी से इसराईल मंसूरी व बोचहां से अमर पासवान के नाम शामिल हैं।

दोबारा मतगणना के बाद राजद की झोली में आयी थी सीट कुढ़नी सीट से अनिल सहनी 712 वोट से जीते थे। राजद को यह सीट कांटे की टक्कर में मिली थी, जिसपर पहले भाजपा के जीत की घोषणा तक हो गई थी, बाद में दोबारा मतगणना में सीट राजद की झोली में गई। अनिल सहनी की विधायकी जाने के बावजूद राजद जिले में महागठबंधन में राजद के चार विधायकों के अलावा जदयू व कांग्रेस के भी एक-एक विधायक के साथ संख्या बल में आगे है।

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पहले से ही उपचुनाव की तैयारी में जुटा था आयोग भले ही विधायक अनिल सहनी की सदस्यता खत्म करने का आदेश शुक्रवार को जारी हुआ हो, लेकिन चुनाव आयोग ने उपचुनाव की तैयारी एक माह पहले ही शुरू कर दी थी। चुनाव आयोग ने कुढुनी के संबंध में पहले ही रिपोर्ट मांग रखी है। आायोग अब किसी भी दिन उपचुनाव की घोषणा कर सकता है।

कुढ़नी विधान सभा क्षेत्र एक नजर में

कुल मतदाता 314394

पुरुष मतदाता 166093

महिला मतदाता 148295

थर्ड जेंडर 04

सर्विस वोट 753

कुल बूथ 506

संवेदनशील बूथ 108

पिता की विरासत संजोये न रख सके

कुढ़नी के विधायक का पद गंवाने वाले अनिल सहनी अपने पिता महेंद्र सहनी की राजनीतिक विरासत को संजोए न रख सके। अनिल सहनी के पिता महेंद्र सहनी जदयू से राज्य सभा के सांसद बनाये गए थे। महेंद्र सहनी की छवि जुझारू व ईमानदार नेता की थी। उनके निधन के बाद जदयू ने उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र अनिल सहनी को सौंपी। 2005 के विस चुनाव में भी वे पैसा बांटने के मामले में फंसे थे। आरोप लगा कि बांटने के लिए लाये गए साढ़े चार लाख रुपये उन्होंने नाले में बहा दिये। इस मामले में वे बरी हो गए थे।

क्या है एलटीसी घोटाला जिसमें हुई सजा

एलटीसी घोटाला एक अवकाश व यात्रा घोटाला है, जो सुविधा राज्यसभा सदस्यों को दी जाती है। राज्यसभा सदस्य को मिलने वाले टिकट का इन्होंने बेजा इस्तेमाल किया। यात्रा किये बिना इन्होंने यात्रा का बिल बनाया और उसका भुगतान अपने खाते में प्राप्त किया। फर्जी ई टिकट व गलत बोर्डिंग पास बनाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया था। इस मामले में अनिल सहनी ने कुल 24 लाख का अवैध भुगतान लिया था, जिसे सीबीआई ने कोर्ट में साबित कर दिया। वर्ष 2009 में हुई इस घटना की एफआईआर 2013 में दर्ज की गई थी और नौ साल चले मुकदमे के बाद इन्हें दोषी करार दिया गया। इस मामले में अनिल सहनी को तीन साल की सजा दी गई है। इस मामले में सीबीआई ने सांसद अनिल सहनी के अलावा कई अधिकारियों को भी आरोपी बनाया था, जिन्हें कोर्ट ने सजा सुनायी है।

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चर्चाअब किसकी झोली में जाएगी कुढ़नी सीट

कुढ़नी विधानसभा सीट अब किसकी झोली में जाएगी और कौन-कौन इसके दावेदार होंगे, इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं। कई समीकरण बनेंगे-ढहेंगे। जदयू व राजद आलाकमान की रणनीति भावी प्रत्याशियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। जदयू के पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा पिछले चुनाव में ही इस सीट के दावेदार थे, लेकिन सीट भाजपा की झोली में जाने से उन्हें चुप बैठना पड़ा था। वहीं भाजपा के केदार गुप्ता पिछली बार हार चूके हैं तो भाजपा के दूसरे दावेदार भी पार्टी में खड़े हो गए हैं। इधर, वीआईपी के रुख पर भी लोगों की नजर है।

विस में 3 स्थान रिक्त, राजद सबसे बड़ी पार्टी

अनिल सहनी की विस की सदस्यता समाप्त होने के बाद विस में तीन स्थान रिक्त हो गए हैं। इसमें दो राजद के और एक सीट भाजपा का है। दो सीटों मोकामा व गोपालगंज में उप चुनाव हो रहा है। अनिल की विधायकी जाने के बावजूद राजद ही सबसे बड़ी पार्टी है। उसके 78 विधायक हैं। भाजपा के 76, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, माले के 12, हम के 04, सीपीआई व सीपीएम के 2-2, एआईएमआईएम के 01, निर्दलीय 01 हैं।

Source : Hindustan

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