पटना जिले के नौबतपुर प्रखंड के डीहरा में मतांतरण (धर्मांतरण) का मामला प्रकाश में आया है। यहां काफी संख्या में अनुसूचित जाति के लोगों को बहला-फुसलाकर और लोभ-लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। बताते चलें कि शुरुआत में काफी तेजी से लोग जुड़े, लेकिन जब ईसाई धर्म को अपनाने वालों को लाभ मिलना बंद हो गया तो धीरे-धीरे उनका लगाव कम हो गया। मामले को लेकर नौबतपुर थानाध्यक्ष रफीकुर रहमान ने बताया कि मतांतरण को लेकर शिकायत उनके पास नहीं आई है। मामला सामने आने पर कारवाई की जाएगी।
लाभ मिला तो आने लगे चर्च
डीहरा स्थित बिलिवर्स चर्च के तथाकथित फादर जय प्रकाश मसीह ने कहा कि जब गांव के लोगों को शौचालय, कंबल, मच्छरदानी इत्यादि का लाभ मिला तो लोग चर्च में आने लगे। चर्च से मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगी तो से रविवार को होने वाली प्रार्थना सभा में लोगों का आना बंद हो गया।
30 हिंदू परिवारों ने किया धर्म परिवर्तन
बताया जाता है कि पिछले पांच-छह वर्षों में नौबतपुर प्रखंड के डीहरा, शेखपुरा, खजुरी समेत करीब एक दर्जन गांव के महादलित टोले में 30 हिंदू परिवारों को प्रलोभन देकर ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया है। शेखपुरा गांव निवासी अरविंद ठाकुर ने बताया कि पहले वे राजस्थान में प्राइवेट नौकरी करते थे। इसी बीच उनके भाई ने उनके पुत्र को चर्च में पढ़ने के लिए भेजना शुरू कर दिया। अरविंद जब छुट्टी में वापस राजस्थान से घर आए तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई। उन्होंने सूचना मिलते ही बेटे को पढ़ने के लिए चर्च जाने से मना कर दिया। डीहरा निवासी मेहरून खातून ने बताया कि वे भी चर्च जाती थीं लेकिन वहां जाने पर बताया गया कि यहां सब लोग बराबर हैं, और एक ही धर्म है। इसे मानना होगा, लेकिन उन्हें यह बात नागवार लगी और चर्च जाना बंद कर दिया।
2015 में डीहरा में चर्च की हुई स्थापना
बता दें कि वर्ष 2015 में डीहरा में एक चर्च की स्थापना की गई, जिसे बिलिवर्स ईस्टन चर्च का नाम दिया गया। चर्च में व्यवस्थापक सह फादर के रूप में कार्य करने वाले बक्सर जिले के राजपुर थाना अंतर्गत सिकरौल निवासी जय प्रकाश मसीह ने बताया कि वे भी हिंदू धर्म से ही आते हैं। वर्ष 1998 में ईसाई धर्म से प्रभावित होकर जुड़े। तीन वर्षों से वे बिलिवर्स ईस्टन चर्च के फादर के रूप में कार्य कर रहे हैं। यहां के लोगों को जबतक लाभ मिला, इससे जुड़े रहे, लेकिन कुछ दिनों से लाभ मिलना बंद हो गया तो अब कोई नहीं आता। उन्हें भी मिलने वाला मासिक भुगतान अब नहीं हो रहा है। परिवार के समक्ष भुखमरी की समस्या आ पड़ी है।
Source : Dainik Jagran