बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज,अस्पतालों व सदर अस्पतालों में अब मरीज और उनके परिजन स्थानीय भाषाओं में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें स्थानीय भाषाओं में अस्पताल की सुविधाओं की जानकारी मिलेगी। सरकार की तरफ से यह फैसला लिया गया हैं कि अस्पतालों में मरीजों के किसी भी प्रश्न का उत्तर उन्हीं की भाषा में मुहैया कराया जाए। यह व्यवस्था स्वास्थ्य की नई संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में शामिल की गई है।
इसके लिए अस्पतालों में मगही, भोजपुरी, मैथिली और बज्जिका जैसी भाषाओं के जानकार रखे जाएंगे। अस्पतालों में इसके लिए हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे और उन पर स्थानीय भाषा के जानकार नियुक्त होंगे। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने अस्पताल प्रबंधन को यह निर्देश दिया हैं कि अस्तपाल अपने स्तर पर स्थानीय भाषा के जानकार नियुक्त करें। अस्पताल प्रबंधन को स्थानीय भाषाओं के पांच-पांच जानकार रखने को कहा गया है। साथ ही यह इस कार्य को प्राथमिक मान कर करने के निर्देश मिले हैं।
मालूम हो कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को डॉक्टर व नर्स की बात समझने में कठनाई महसूस होती थी। जिस वजह से राज्य सरकार ने यह फैसला लिया हैं जिससे मरीजों व उसके परिजनों को बातें समझने में मदद मिले।इसके लिए जल्द ही भोजपुरी, मगही जैसे भाषाओं के जानकारों की नियुक्ति की जायेगी।