राज्य में बीमार नवजात (बच्चे) की देखभाल के लिए मानक संचालन प्रणाली (एसओपी) बनाई गई है। इसमें बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने से लेकर छुट्टी किए जाने तक में अस्पताल प्रशासन को क्या-क्या करना होगा शामिल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार इस नीति के माध्यम से बच्चों की ट्रैकिंग आसानी से की जा सकेगी। विभाग ने एसओपी को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की ओर से इस बाबत सभी सिविल सर्जन को आदेश जारी किया गया है।
नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिलों में विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) कार्यरत है। विभाग का मानना है कि ऐसे में इन इकाइयों का सही तरीके से संचालन किया जाना जरूरी है। समाधान यात्रा के दौरान विभागीय अधिकारियों ने अस्पतालों में बने इस एसएनसीयू में कई खामियां पाईं। इसमें प्रमुख तौर पर रेफर किए गए नवजात की ट्रैकिंग नहीं होना पाया गया। साथ ही शिशु मृत्यु की समीक्षा नहीं होना, सभी दस्तावेज सही तरीके से नहीं भरा जाना, भर्ती रजिस्टर व केस रिकॉर्ड शीट के कई कॉलम खाली पाए गए। यही नहीं एसएनसीयू नोडल ऑफिसर अनुपस्थित पाए गए। डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर व स्टाफ नर्स ड्यूटी रोस्टर उपलब्ध नहीं थे। बच्चों के इलाज से संबंधित उपकरण भी खराब पाए गए। इसे एसएनसीयू पर प्रतिकूल प्रभाव मानते हुए ही एसओपी बनाया गया है।
● प्रशासन डॉक्टर, स्टाफ नर्स व सहायक कर्मियों का नाम प्रदर्शित करना होगा। अधीक्षक, उपाधीक्षक, अस्पताल प्रबंधक, जिला स्वास्थ्य प्रबंधक व सिविल सर्जन का नाम व संपर्क नंबर लिखना होगा। अस्पताल प्रबंधक को इसके लिए जिम्मेवार बनाया गया है।
● नामांकन नवजात की भर्ती के समय जो डॉक्टर देखेंगे, उन्हें बच्चे की बीमारी का पूरा ब्योरा लिखना होगा। नर्स को भी इलाज के दौरान पूरी जानकारी लिखनी होगी। डाटा इंट्री ऑपरेटर पोर्टल पर बच्चे से संबंधित जानकारी 24 घंटे के भीतर अपलोड करेंगे।
● इलाज एसएनसीयू के नोडल डॉक्टर हर भर्ती बच्चे के लिए जिम्मेवार होंगे। सुबह-शाम इन्हें राउंड लगाना होगा। ड्यूटी की अदला-बदली के समय डॉक्टरों को पूरा दस्तावेज लेन-देन करना होगा।
● मृत्यु बच्चे की मौत होने पर फॉर्म चार-ए/बी पर पूरी जानकारी दर्ज करनी होगी। 24 घंटे के अंदर वेबपोर्टल पर इसे अपलोड किया जाएगा।
● छुट्टी अस्पताल से छुट्टी होने पर बच्चे की पूरी जानकारी लिखनी होगी। रेफर करने की स्थिति में डॉक्टरों को बताना होगा कि किन कारणों से बच्चे को दूसरे अस्पताल में भेजना पड़ा। रेफर करते समय स्टाफ नर्स को एम्बुलेंस के साथ ही चिकित्सकीय कर्मी की भी व्यवस्था करनी होगी। रेफर किए जाने वाले अस्पताल से समन्वय करने का जिम्मा भी स्टाफ नर्स का होगा।
● निगरानी दिन में एक बार नोडल डॉक्टर यूनिट का निरीक्षण करेंगे। साफ-सफाई का ख्याल रखा जाएगा। अस्पताल प्रबंधक को भी दिन में एक बार इस यूनिट का निरीक्षण करना होगा। अधीक्षक या उपाधीक्षक हर मंगलवार, सिविल सर्जन महीने में पहले व तीसरे मंगलवार एसएनसीयू यूनिट का निरीक्षण करेंगे।
● समीक्षा नोडल डॉक्टर को हर सप्ताह समीक्षा बैठक करनी होगी। अधीक्षक व उपाधीक्षक को दूसरे व चौथे मंगलवार को समीक्षा करनी होगी। सिविल सर्जन भी समय-समय पर एसएनसीयू यूनिट की समीक्षा करेंगे।
Source : Hindustan