मोदी सरनेम को लेकर दिए गए भाषण की वजह से मानहानि केस में 2 साल की सजा पाए राहुल गांधी ने सोमवार को सूरत की सेशंस कोर्ट में याचिका दायर की और सीजेएम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी। सजा मिलने के बाद सांसदी गंवाने वाले राहुल गांधी को सेशंस कोर्ट ने 13 अप्रैल तक जमानत दे दी है। वहीं, सजा पर रोक के लिए उनकी ओर से दी गई याचिका पर 3 मई को सुनवाई होगी।
इससे पहले सूरत में सीजेएम एचएच वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि का दोषी करार देते हुए उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी। 23 मार्च को कोर्ट ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (किसी व्यक्ति की आपराधिक मानहानि के दोषी व्यक्ति के लिए सजा) के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें ऊपरी अदालत में जाने का मौका दिया और सजा को 30 दिन तक निलंबित कर दिया था।
दोषी ठहराए जाने और 2 साल की सजा मिलने के बाद नियमानुसार लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक, दो साल की जेल की सज़ा मिलने पर सांसद या विधायक संसद या विधानसभा की अपनी सदस्यता से, दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य हो जाता है। हालांकि, कोई उच्च अदालत दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दे तो सदस्यता बहाल हो जाती है।
राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उस टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी जिसमें उन्होंने कहा था, ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?’ गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी।
Source : Hindustan