मुजफ्फरपुर सहित सूबे में पोस्टपेड मीटर हटाकर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने और उसकी गड़बड़ियों के प्रति विभागीय उदासीनता को लेकर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। बिहार सिविल सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष आचार्य चंद्र किशोर पाराशर ने अपने अधिवक्ता विजय कुमार सिंह के माध्यम से यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें बिहार सरकार के प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव, बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसचीएचसीएल) के अध्यक्ष सह महाप्रबंधक, नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल) के महाप्रबंधक एवं उप महाप्रबंधक-सह-अधीक्षण अभियंता सहित छह अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि बिहार सरकार का ऊर्जा विभाग एवं बीएसचीएचसीएल बगैर पूर्व सूचना के घरों में पोस्टपेड मीटर हटाकर प्रीपेड मीटर लगा रहा है। बिना जांच किए गलत प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है। नये मीटर लगाने की सूचना 15 दिन पूर्व देनी है, जिसका पालन विभाग नहीं कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि बगैर पूर्व सूचना बिजली विभाग ने मीटर रीडर की सेवा समाप्त कर दी है। यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रीपेड मीटर में अधिक तेज गति से बिजली खपत की गणना होती है। इसे रिचार्ज करवाने पर कई बार पैसा फंस जाता है।

याचिका में कहा गया है कि समस्या का निदान नहीं करने से उपभोक्ताओं में आक्रोश है। मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में उपभोक्ताओं ने आंदोलन किया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय से अपील किया है कि विद्युत विभाग के इस मनमानी के विरुद्ध अविलंब सुनवाई कर उपभोक्ताओं की समस्या के समाधान का न्यायादेश दिया जाए।

इस संबंध में किए गए पत्रकार सम्मेलन में सोसाइटी के अध्यक्ष आचार्य चंद्र किशोर पाराशर, बीआरएबीयू के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के अध्यक्ष डॉ संजय कुमार, भौतिकी विभाग की विवि प्रो. डॉ. संगीता सिन्हा, अधिवक्ता अरुण कुमार शुक्ला, अरुण कुमार शर्मा, मुन्नी चौधरी व जितेंद्र कुमार सिंह मौजूद थे।

Source : Hindustan

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