मुजफ्फरपुर की पहचान बन चुकी लीची ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। दरअसल विलुप्त हाे चुकी लीची की 12 प्रजातियाें के संरक्षण हेतु बिहार लीची उत्पादक संघ काे राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभागार में आयाेजित समाराेह में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह काे पुरस्कार से नवाजा। बता दें कि पाैधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकारण ने इस पुरस्कार के लिए लीची उत्पादक संघ को चयनित किया था। वहीं संघ की तरफ से मुराैल के नेमाेपुर स्थित बागान में लीची की 12 प्रजातियाें काे संरक्षित किया गया।
जिन 12 प्रजातियों को संरक्षित किया गया इसमें गंडकी संपदा, गंडकी लालिमा, गंडकी याेगिता, राेज सेंटेड, स्वर्ण रूपा, लेट बेदाना, एयर्ली बेदाना, लाेंगिया, त्रिकाेलिया, मंद्राजी, पूर्बी व लाेगान शामिल है। वहीं बीते 10 फरवरी को केंद्रीय टीम ने नेमापुर स्थित बगान का दाैरा कर लीची की विलुप्त हाे रही प्रजातियाें के पेड़ाें की जांच की थी।
इस टीम में राजेंद्र कृषि विवि व सबाैर कृषि विवि के प्रतिनिधि भी शामिल थे। पेड़ाें की अध्ययन करने के बाद टीम ने अपनी रिपाेर्ट मंत्रालय काे साैंपी। बता दें कि इस पुरस्कार के साथ संघ काे 10 लाख रुपए भी इनाम के तौर पर मिले। लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने जानकारी दी कि पुरस्कार राशि लीची की विलुप्त हाे रही प्रजातियाें के संरक्षण पर खर्च होगी।
इसके आलावा कतरनी धान की विुलप्त हाे रही प्रजाति काे बचाने के लिए भागलपुर के किसानाें काे भी राष्ट्रपति मुर्मू के तरफ से पुरस्कृत किया गया है।