अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा से 3 दिन पहले रामलला की मूर्ति की पहली पूरी तस्वीर सामने आ गई है. काले पत्थर से बनी ये मूर्ति दिव्य और अलौकिक है. इसको खासतौर पर मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है. 51 इंच की रामलला की मूर्ति में भगवान का विहंगम स्वरूप दिखाई दे रहा है, जिसकी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की जानी है.
रामलला की इस मूर्ति के चारों ओर आभामंडल भी बनाया गया है. खास बात ये है कि इसे एक ही पत्थर से तैयार किया गया है. इसका मतलब है कि इस पत्थर में किसी भी तरह का कोई जोड़ नहीं लगाया गया है. 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मूर्ति की आंखों से कपड़ा हटाएंगे, इसके बाद सोने की सलाई से भगवान राम की आंखों में काजल लगाएंगे. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पीएम मोदी रामलला के स्वरूप को शीशा दिखाएंगे.
रामलला की मूर्ति क्यों है खास?
रामलला की ये मूर्ति 5 वर्षीय बाल स्वरूप में बनाई गई है, जिसमें रामलला के बाल रूप को पत्थर से बने कमल पर विराजमान दिखाया गया है. मूर्ति पर विष्णु के 10 अवतार, ॐ, स्वास्तिक, शंख-चक्र भी मौजूद हैं. प्रभु श्रीराम विष्णु भगवान का अवतार थे. इसलिए भगवान विष्णु से जुड़े इन चिन्हों को शामिल किया गया है, जो प्रभु श्रीराम की मूर्ति को और भव्य बना रहे हैं. श्री राम की प्रतिमा के सिर पर सूर्य बनाया गया है, श्री राम सूर्यवंशी थे और उनका जन्म दोपहर 12 बजे हुआ था, जिस वक्त सूर्य की तीव्रता अपने चरम पर होती है.
मूर्ति में दिखेंगे भगवान विष्णु के 10 अवतार
रामलला की मूर्ति के चारों ओर बने विग्रह में भगवान राम के 10 अवतार के दर्शन होते हैं. इसमें सबसे पहले मत्स, दूसरे पर कूर्म, तीसरे पर वराह, चौथे पर नृसिंह, पांचवें पर वामन, छठे पर परशुराम, सातवें पर राम, आठवें पर कृष्ण, नौवें पर बुद्ध और 10वें स्थान पर कल्कि के दर्शन होते हैं. इसके साथ ही एक तरफ हनुमान जबकि दूसरी ओर गरुड़ विराजमान हैं.
हर चिह्न का है एक खास महत्व
रामलला की मूर्ति के चारों ओर बने विग्रह में कई खास चिह्न विराजमान हैं. ज्योतिषाचार्य एवं टैरो कार्ड रीडर डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा ने इन चिह्नों के महत्व के बारे में विस्तार से बताया है.
सूर्यदेव– सूर्यदेव भगवान राम के वंश का प्रतीक हैं. इसके साथ ही सूर्य को अनुशासन का भी प्रतीक माना जाता है. भगवान राम का चरित्र स्थिर है जैसे सूर्यदेव का है.
शेषनाग- शेषनाम, भगवान विष्णु की शैया और सुरक्षा का प्रतीक है. भगवान विष्णु, लक्ष्मण के रूप में हर समय भगवान राम के साथ रहे हैं.
ॐ- ॐ इस सृष्टि पहला स्वर है और सौर्यमंडल की ध्वनी है. ॐ सनातन धर्म की परंपरा का प्रतीक है.
गदा- गदा को बल का प्रतीक माना जाता है. राम का संकल्प शक्ति गदा की तरह ही मजबूत है. यही कारण है कि भगवान राम की मूर्ति के विग्रह में गदा को भी स्थान दिया गया है.
स्वास्तिक- स्वास्तिक हमारी संस्कृति, वैदिक परंपरा का प्रमुख चिह्न हैं. भगवान राम हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं.
आभामंडल- भगवान राम के मुख के पीछे बना आभामंडल पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है.
धनुष- ये मात्र अस्त्र भर नहीं है, धनुष मूल रूप से भगवान राम की शिक्षा और पुरुषार्थ का प्रतीक है.
श्री राम की प्रतिमा में धनुष बाण भी
रामलला को इस प्रतिमा में धनुष-बाण लिए दिखाया गया है. इस प्रतिमा को देखकर आपको श्रीराम में भगवान विष्णु का अवतार भी दिखेगा. भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए इस मूर्ति में एक राजा के पुत्र की छवि भी नजर आएगी. गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे. कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी. आपको बता दें कि मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की खड़ी मूर्ति को बहुत ही सुंदर स्वरूप दिया गया है. रामलला की प्रतिमा श्याम शिला से बनाई गई है, कहते हैं इस पत्थर की आयु हजारों साल होती है और यह जल रोधी भी होता है, इस पर चंदन या सिदूंर आदि लगाने से मूर्ति के रंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. रामलला की इस मूर्ति की पहली झलक अब सभी लोगों के सामने आ चुकी है.
Source : TV9