शिक्षा विभाग की मीटिंग में शामिल नहीं होने पर केके पाठक ने बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के वीसी और रजिस्ट्रार के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। उनके वेतन पर रोक लगाते हुए शो कॉज नोटिस भेज दिया है। शिक्षा विभाग की ओर से स्पष्टीकरण पूछा गया है कि 28 फरवरी की महत्वपूर्ण बैठक में आप लोग उपस्थित नहीं हुए। क्यों नहीं आप पर प्राथमिक की दर्ज की जाए? इसके साथ सभी विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर भी शिक्षा विभाग ने रोक लगा दी है। मालूम हो कि 28 फरवरी को विभाग द्वारा बैठक बुलाई गई थी जिसमें राज्पाल आर वी आर्लेकर के आदेश पर कोई भी कुलपति उपस्थित नहीं हुए थे। राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों को इससे संबंधित निर्देश भेजा था।

दरअसल मंगलवार को शिक्षा विभाग की ओर से एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक को शामिल होने के लिए कहा गया था। बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लेट सेशन की समस्या, पठन-पाठन और परीक्षा को पटरी पर लाने तथा विश्वविद्यालय की समस्याओं से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर केके पाठक ने यह बैठक बुलाई थी। अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के वीसी, रजिस्ट्रार, एग्जामिनेशन कंट्रोलर को अनिवार्य रूप से शामिल होने का निर्देश दिया गया था।

लेकिन इस बैठक में कोई भी वीसी, प्रो वीसी या रजिस्टर नहीं पहुंचे। राज भवन के आदेश पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने केके पाठक की मीटिंग से पूरी तरह दूरी बना ली। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि के पाठक इसके बाद कोई बड़ा और कड़ा एक्शन ले सकते हैं। विश्वविद्यालय को भेजे गए पत्र में शिक्षा विभाग की ओर से पहले ही कह दिया गया था कि मीटिंग में अनिवार्य रूप से शामिल होना है। अगर कोई पदाधिकारी बैठक में नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

Sharda Heritage- Marriage Hall , Banquet Hall Muzaffarpur

पिछले कुछ दिनों से उच्च शिक्षा में केके पाठक के दखल और राजभवन से उनके तकरार की चर्चा सुर्खियों में है। शिक्षा विभाग का निर्देश मिलने के बाद पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी ने राजभवन से इस मामले में मार्गदर्शन मांगा। जवाब में राजभवन की ओर से सभी विश्वविद्यालय पदाधिकारी को शिक्षा विभाग की मीटिंग से अलग रहने का निर्देश दिया गया। उसका पालन करते हुए विश्वविद्यालय पदाधिकारी ने केके पाठक की मीटिंग में शामिल नहीं हुए। उसके बाद शिक्षा विभाग ने यह एक्शन लिया है। देखना अहम है कि अब राज्यपाल आगे क्या एक्शन लेते हैं।

Source : Hindustan

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