नीतीश कुमार-सम्राट चौधरी की सरकार अपराध नियंत्रण के लिए नया कानून ला रही है। खासकर माफियाओं की नकेल कसने की तैयारी है। भूमि, बालू, शराब सहित अन्य आर्थिक अपराधों में संलिप्त माफियाओं, मानव तस्करी, देह-व्यापार, छेड़खानी, दंगा फैलाने, सोशल मीडिया के दुरुपयोग सहित अन्य कांडों में शामिल अपराधी या आपराधिक गिरोहों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। डीएम इन पर सीधी कार्रवाई कर सकेंगे। उन्हें असीमित शक्ति सरकार देने जा रही है।
इसका प्रावधान राज्य सरकार द्वारा बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक, 2024 में किया गया है। गुरुवार को विधानमंडल से पारित होते ही राज्य में नया कानून लागू हो जाएगा तथा बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1981 (बिहार का अधिनियम संख्या-7, 1981 का अधिनियम संख्या-7) समाप्त हो जाएगा। नये विधेयक की प्रति बुधवार को विस में वितरित की गयी। नये कानून में डीएम को वारंट जारी करने, गिरफ्तार करने, जेल भेजने, बेल देने का अधिकार होगा। उन्हें आपराधिक मामलों में शामिल तत्वों को छह माह तक जिला तथा राज्य से तड़ीपार करने का भी अधिकार होगा। हालांकि डीएम के आदेश के खिलाफ प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकेगी। डीएम को कार्रवाई करने की सूचना सरकार को पांच दिनों के अंदर देनी होगी। वहीं, 12 दिनों के अंदर सरकार से अनुमति लेनी होगी। दो साल में दो आपराधिक मामलों में अगर पुलिस न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करती है तो उसे असामाजिक तत्व की श्रेणी में रखा जाएगा। आम आदमी को लेकर भी इस कानून में कुछ जिम्मेदारी है। अगर निजी सीसीटीवी लगा रखा है तो 30 दिनों का वीडियो सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा।
जिलाधिकारी की ओर से जारी वारंट पूरे देश में होगा लागू
जिलाधिकारी द्वारा जारी वारंट बिहार सहित पूरे देश में लागू होगा। जिलाधिकारी को तलाशी एवं जब्ती का भी अधिकार दिया गया है। नये कानून के तहत आदेश का उल्लंघन करने पर या संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। उसे कार्यपालक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके बाद हिरासत में भी रखा जा सकता है। तीन माह से अधिक की हिरासत अवधि नहीं होगी। इसकी सूचना जिलाधिकारी को देनी होगी।
इसलिए पड़ी जरूरत
सूबे में अपराध की शैली एवं प्रकृति में परिवर्तन आया है। वर्तमान में लागू बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम 1981 में असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण को वर्तमान परिस्थिति के अनुसार कुछ कानूनी प्रावधान नहीं हैं। इसलिए नये कानून की जरूरत है।
सलाहकार बोर्ड बनेगा
इस कानून के तहत सलाहकार बोर्ड बनेगा। इसमें उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश होंगे। बोर्ड सदस्यों में एक को अध्यक्ष होंगे, जो उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत न्यायाधीश होंगे। सलाहकार बोर्ड को सुनवाई का भी अधिकार दिया गया है। सदस्यों के बहुमत की राय ही मान्य होगी।
Source : Hindustan