बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पठन-पाठन, परीक्षा और सत्र सुधार के सवाल पर राजभवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने आ गया है। केके पाठक के आदेश पर राज्य के सभी कुलपतियों और विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों का वेतन रोक दिया गया है उनके खातों के संचालक पर भी रोक लगाई गई है। उधर राज्यपाल आरवी आर्लेकर ने 3 मार्च को सभी कुलपतियों की बैठक बुलाई है। भाजपा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी इस मामले को लेकर आरक्षण में है उन्होंने शिक्षा मंत्री से इस मामले में प्रभावी हस्तक्षेप की मांग की है।

भाजपा नेता सह पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच लंबे समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है। फिर से यह आग और भड़क गई है। बिहार के शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इसका समाधान करने के लिए शिक्षा मंत्री को यथाशीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए। दरअसल 28 फरवरी को शिक्षा विभाग ने सभी कुलपति, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक की बैठक बुलाई थी। लेकिन राजभवन के आदेश पर विश्वविद्यालय पदाधिकारी बैठक में नहीं गए। नाराज केके पाठक ने इस पर एक्शन लेते हुए सभी वीसी, रजिस्ट्रार, एग्जाम कंट्रोलर के वेतन पर रोक लगा दी। शिक्षा विभाग ने उन्हें शो कॉज जारी करते हुए विश्वविद्यालयों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। इससे आहत कुछ घंटों के भीतर ही राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालों को पत्र भेजकर 3 मार्च को बैठक में तलब कर दिया। बैठक का एजेंडा नहीं बताया गया। लेकिन माना जा रहा है कि ताजा हालातों पर केके पाठक का कोई हल निकालने के एजेंडे पर चर्चा होगी।

Sharda Heritage- Marriage Hall , Banquet Hall Muzaffarpur

इस मामले में सुशील मोदी ने आगे कहा है कि शिक्षक संगठनों और विपक्ष की इच्छा के अनुरूप जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्कूलों को चलाने का समय घोषित कर दिया तब इसका अक्षरशः पालन होना चाहिए था। राजभवन की मर्यादा और मुख्यमंत्री के आदेश का पालन कराना कार्यपालिका का कर्तव्य है। इसमें टकराव-अवज्ञा के लिए कोई जगह खोजना और फिर उसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना किसी भी अधिकारी के लिए शोभनीय नहीं हो सकता। इशारों में सुशील मोदी ने केके पाठक के स्टाइल पर निशाना साधा और अपनी ही सरकार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी से इस मामले में दखल देने की मांग की।

Source : Hindustan

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