मुजफ्फरपुर के एक नागरिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सीबीएसई अध्यक्ष राहुल सिंह, मुख्यमंत्री नितीश कुमार, और बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में हो रही अनियमितताओं और समस्याओं को उजागर किया है और इन स्कूलों में सुधार की मांग की है।
पत्र के प्रमुख बिंदु:
- एनसीईआरटी आधारित सिलेबस: पत्र में लिखा गया है कि सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय एनसीईआरटी आधारित सिलेबस की पढ़ाई कराते हैं, लेकिन कई विद्यालय अन्य पब्लिकेशनों की किताबें भी चलाते हैं।
- किताबों की एमआरपी पर बिक्री: अभिभावक का कहना है कि हर वर्ष जब किताबें खरीदी जाती हैं तो एमआरपी पर ही दर वसूल की जाती है। जबकि प्रकाशकों से बात करने पर पता चलता है कि किताबों पर 30 से 60% तक की छूट मिलती है।
- ट्यूशन की आवश्यकता: सभी विद्यालय दावा करते हैं कि उनके स्कूल में सबसे अच्छे शिक्षक हैं। इसके बावजूद, अभिभावकों को अपने बच्चों को घर पर ट्यूशन दिलवाना पड़ता है।
- फीस और अन्य शुल्क में अंतर: अगर सभी प्राइवेट स्कूल सीबीएसई से एफिलिएशन लेकर स्कूल चला रहे हैं, तो उनकी फीस, डेवलपमेंट शुल्क, रजिस्ट्रेशन और किताबों के दामों में इतना अंतर क्यों है?
- रट्टा मार शिक्षा: सभी बच्चों को सिर्फ रटाया जा रहा है। वे उत्तर तो दे सकते हैं, लेकिन उस उत्तर का मतलब नहीं जानते।
- शिक्षा का व्यवसायीकरण: सभी स्कूल शिक्षा को व्यवसाय बना चुके हैं।
जाँच की मांग:
अंत में, उन्होंने अनुरोध किया है कि एक टीम बनाकर इन स्कूलों की जाँच की जाए, जो सीबीएसई से एफिलिएशन तो ले चुके हैं, लेकिन उनके सर्कुलर का पालन नहीं कर रहे हैं।
प्रतिलिपि:
यह पत्र निम्नलिखित अधिकारियों को भी भेजा गया है:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
- सीबीएसई अध्यक्ष राहुल सिंह
- मुख्यमंत्री नितीश कुमार
- बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार