बिहार के प्रसिद्ध साहित्यकार एवम इतिहासकार सच्चिदानंद चौधरी का देहावसान दिनांक 19 जून 2024 को प्रातः 6 बजे भगवानपुर श्री कृष्ण विहार कॉलोनी स्थित उनके आवास पर हो गया। उनके निधन से साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
सच्चिदानंद चौधरी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव खरौना जयराम, मुजफ्फरपुर में संपन्न हुआ। उन्होंने बिहार राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग में अवर सचिव तथा भारतीय ऐतिहासिक एवम पुरातात्विक शोध प्रतिष्ठान, पटना के महासचिव के रूप में महत्वपूर्ण सेवाएं दी थी।
उनकी कई कृतियों में भगवान महावीर जन्म स्थान और बुद्ध महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर पर लिखी पुस्तकें शामिल हैं। उनकी सबसे अमर कृति “क्षीर सागर की खोज” है, जिसे देश-विदेश में व्यापक ख्याति और सराहना मिली।
सच्चिदा बाबू अपने पीछे शोकाकुल परिवार में पत्नी पवन देवी (सेवानिवृत प्रधानाध्यापिका), एक पुत्र, तीन पुत्रियां तथा पौत्र-पौत्रियों से भरा परिवार छोड़ गए हैं।
उनकी स्मृति में दिनांक 30 जून को श्राद्ध कर्म एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है। सभी शुभचिंतकों से अनुरोध है कि सभा में सम्मिलित होकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
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