नए आपराधिक कानून के तहत अब किसी भी इलाके में घटित घटना की प्राथमिकी (एफआईआर) किसी भी थाना में दर्ज करायी जा सकेगी। इसे ‘जीरो एफआईआर’ के रूप में दर्ज करना अनिवार्य होगा और इसे सीसीटीएनएस के माध्यम से संबंधित थाने में स्थानांतरित किया जाएगा। बाद में संबंधित थाने में प्राथमिकी की संख्या दर्ज की जाएगी।
दर्ज की गई प्राथमिकी की जांच और कार्रवाई की प्रगति को एफआईआर नंबर के माध्यम से ऑनलाइन देखा जा सकेगा। ये जानकारी राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक बी. श्रीनिवासन ने दी। श्रीनिवासन सोमवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के तत्वावधान में ‘तीन नए आपराधिक कानूनों’ पर आयोजित मीडिया कार्यशाला ‘वार्तालाप’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला आशियाना-दीघा रोड स्थित कर्पूरी ठाकुर सदन के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सभागार में हुई। इसमें तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की चर्चा की गई।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो. (डॉ) फैजान मुस्तफा ने कहा कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय प्रदान करना है। हालांकि, प्रो. फैजान ने इनमें नई चीजों को जोड़ने की जरूरत भी बताई। उन्होंने मीडियाकर्मियों को मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह दी, क्योंकि इससे कानूनी व्यवधान होता है। नए आपराधिक कानूनों में कई प्रावधानों से मानवीय पक्ष सामने आएगा।
मुख्य बिंदु:
- बिहार में अबतक 26 हजार से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षण मिला है।
- एफआईआर से लेकर कोर्ट के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
- इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान है।
- सात साल से अधिक सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य होगी।
- यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी।
- पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान है।
- आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा।
- भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान है।
- तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा।