MUZAFFARPUR : अनसुलझी उलझन की बातें! ऐसी रचनाओं का संग्रह जो हमारी-आपकी रोज़मर्रा से जुड़ी हैं। इसमें लड़कपन की नादानियां भी हैं और यौवनावस्था का अल्हड़पन भी। इस किताब में लेखक ने परिजन से मुलाक़ात कराती रचनाओं का संसार भी सजाया है। साथ ही, मोहब्बत की बेकसी को भी दर्शाया है। देश, समाज की बातें भी की है और अपने-पराए से भी ताल्लुक कराया है।
कुल मिलाकर समूची छटपटाहट को शब्दों की माला में पिरोकर उड़ेल दिया है अनसुलझी उलझन की बातें नामक इस काव्य संग्रह में। आप इसे पढ़ेंगे तो इसकी रचनाओं से खुद को जोड़ने से नहीं रोक पाएंगे।
इस किताब को लिखा है अपने मुजफ्फरपुर शहर के मिठनपुरा के खादी भंडार इलाके में रहने वाले अभिषेक प्रियदर्शी ने। किताब में लेखक का नाम आपको अभिषेक प्रियदर्शी ‘राही’ लिखा दिखेगा। दरअसल, अभिषेक के अंदर भावनाओं को विचरते देख इनके पिता शिवशंकर श्रीवास्तव जी ने इस नाम में ‘राही’ शब्द जोड़ दिया था। मां संगीता चैनपुरी से मिली सीखों को अभिषेक ने इस किताब में शब्दों की माला में बखूबी ढाला है।
अभिषेक प्रियदर्शी की यह दूसरी रचना है। यह किताब गाजियाबाद से प्रकाशित हुई है। इसका मूल्य 200 रुपए है। इसका ऑडियो वर्जन Youtube, Facebook, Instagram, ex, LinkedIn पर जल्द ही उपलब्ध हो जाएगा।
Muzaffarpur Now के Followers के लिए यह किताब फ्लिपकार्ट पर मात्र 150 रुपए में उपलब्ध है।