बांग्लादेश में हाल ही में हुए तख्तापलट के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ होने का आरोप लगाया जा रहा है। पाकिस्तान में सक्रिय कट्टरपंथी संगठनों ने हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों को हवा देने का काम किया। अब बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पाकिस्तानी मीडिया इसे ‘असली आजादी’ का नाम दे रहा है।
बांग्लादेश में आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने अंतरिम सरकार का गठन किया है और नोबल विजेता मोहम्मद यूनुस को इसका मुखिया बनाया है। शेख हसीना के इस्तीफे के बावजूद हिंसा जारी है।
पाकिस्तानी मीडिया की बात करें तो डॉन न्यूज ने अपने संपादकीय में इसे ‘हसीना का पतन’ करार दिया है। संपादकीय में कहा गया है कि अगर सेना ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो स्थिति और भी खराब हो सकती थी। इसमें यह भी कहा गया है कि पिछले 15 वर्षों में विपक्ष को दबाया गया और यह तख्तापलट उसी दबे हुए आक्रोश का परिणाम है।
पाकिस्तान के ‘ट्रिब्यून’ अखबार ने इसे बांग्लादेश की जनता की जीत बताया है। जियो टीवी नेटवर्क ने अपनी मुख्य खबर में लिखा, ‘खूनी प्रदर्शन के बाद पीएम शेख हसीना ने पद छोड़ा और बांग्लादेश से भाग निकलीं।’ पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर इसे भारत के लिए झटका बताया जा रहा है। एक चैनल पर अमेरिका में पाकिस्तान की राजदूत रह चुकीं मादिहा लोधी ने कहा कि हसीना भारत की समर्थक थीं और पाकिस्तान के खिलाफ थीं। जनता ने उन्हें अपनी ताकत दिखा दी।
बांग्लादेश के अखबारों ने इस घटना को विभिन्न दृष्टिकोणों से पेश किया है। ‘प्रोथोम आलो’ ने लिखा है कि शेख हसीना अंत में भी बल प्रयोग करना चाहती थीं और रक्तपात करके सत्ता में बनी रहना चाहती थीं। ‘सामयिक’ पत्रिका ने इसे छात्रों की खून से सनी जीत बताया है। ‘नया दिगंत’ ने मोहम्मद यूनुस को उद्धृत करते हुए इसे छात्रों की दूसरी और असली आजादी कहा है। ‘न्यू एज’ ने लिखा है कि बांग्लादेश में जल्द ही राष्ट्रीय सरकार का गठन होगा।
(स्रोत: लाइव हिंदुस्तान)