बिहार में साइबर अपराधों पर नियंत्रण और अनुसंधान की गुणवत्ता को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रशासनिक स्वीकृति के तहत बिहार में दो नई साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। इन प्रयोगशालाओं में कुल ₹13,66,50,752 (तेरह करोड़ छियासठ लाख पचास हजार सात सौ बावन रुपये) की राशि आवंटित की गई है। ये प्रयोगशालाएँ विधि विज्ञान प्रयोगशाला, पटना और क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला, बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर में स्थापित की जाएंगी।
साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना से राज्य में साइबर अपराध से संबंधित प्रदर्शों की त्वरित और उच्च गुणवत्ता वाली जांच संभव होगी। वर्तमान में साइबर अपराधों की जांच के लिए अन्य राज्यों की प्रयोगशालाओं पर निर्भरता होती है, जिससे रिपोर्ट मिलने में देरी होती है और अपराधों की जांच प्रभावित होती है। नए प्रयोगशालाओं की स्थापना से यह समस्या हल होगी और जाँच समय पर पूरी की जा सकेगी।
राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU), गांधीनगर, इन प्रयोगशालाओं के लिए परामर्शी के रूप में कार्य करेगा और पांच वर्षों तक इन प्रयोगशालाओं को हैंडहोल्डिंग सपोर्ट प्रदान करेगा। NFSU दो साइबर एक्सपर्ट्स (प्रत्येक प्रयोगशाला के लिए 6-6) भी उपलब्ध कराएगा। यह विश्वविद्यालय साइबर फॉरेंसिक और अन्य फॉरेंसिक सेवाओं में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है।
प्रयोगशालाओं की स्थापना से न केवल अपराध की जांच में तेजी आएगी बल्कि प्रशिक्षुओं को भी साइबर फॉरेंसिक के विषय में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कदम बिहार में पहली बार मान्यता प्राप्त साइबर फॉरेंसिक लैब की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण होगा, जिससे राज्य में साइबर अपराधों की जांच और अनुसंधान में नई ऊँचाइयों को छुआ जा सकेगा।