बिहार में चल रहे जमीन सर्वे के दौरान रैयतों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गांवों में शिविर लगाकर लोगों की शिकायतों का समाधान करने में जुटे हुए हैं। एक प्रमुख सवाल यह है कि जिन जमीनों का बदलैन स्टांप पेपर पर किया गया है, उनके कब्जाधारियों को क्या कदम उठाने चाहिए। दरअसल, सर्वे में स्टांप पेपर पर बना बदलैन दस्तावेज मान्य नहीं होगा, और ऐसे में जमीन की रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य होगा। रजिस्ट्री के बाद ही जमीन का सर्वे संभव हो सकेगा।

गुरुवार को दरभंगा जिले के जाले प्रखंड के रतनपुर और ब्रह्मपुर पूर्वी पंचायत में सर्वे अमीन रविशंकर भारती ने शिविर लगाकर लोगों के सवालों का समाधान करने की कोशिश की। गांव वालों ने बताया कि इस इलाके की अधिकांश जमीन अभी भी उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज है, हालांकि जमीन कई हिस्सों में बंट चुकी है। कई लोगों का दाखिल-खारिज नहीं हो पाया है, जिससे उनके हिस्से की जमीन का सर्वे नहीं हो पा रहा है।

अमीन ने स्पष्ट किया कि जिनकी जमीन उनके पूर्वजों के नाम पर है, उन्हें प्रपत्र-2 के साथ प्रपत्र-3 (1) भी भरना होगा। प्रपत्र-2 में जमीन की बेसिक जानकारी देनी होती है, जबकि प्रपत्र-3 में वंशावली की जानकारी देनी होगी। वंशावली के लिए पंचायत या अन्य सरकारी दफ्तर से प्रमाणित दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि इसे स्वयं भर सकते हैं।

Input : Hindustan

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