सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न राज्यों में प्रशासन द्वारा आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने के मामलों पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने सवाल किया कि कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सिर्फ अभियुक्त होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना कानूनी रूप से सही नहीं हो सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी हो, तो भी बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के उसके घर को ढहाना उचित नहीं है।

अवैध निर्माण पर कानूनन कार्रवाई के साथ, नियमों का पालन अनिवार्य

सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया कि सभी मामलों में म्युनिसिपल कानूनों का पालन किया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि केवल अवैध निर्माण के मामलों में ही बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया है और उचित नोटिस जारी किए गए थे। कोर्ट ने इस पर सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि पूरे देश में अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण से संबंधित दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें।

जमीयत उलमा ए हिंद ने याचिका में ‘बुलडोजर इंसाफ’ के चलन पर जताई चिंता

जमीयत उलमा ए हिंद द्वारा दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया कि बुलडोजर कार्रवाई का उपयोग खासकर अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने तर्क दिया कि यह प्रवृत्ति खतरनाक है और इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों को अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की।

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